सूर्यग्रहण: प्रभाव जानने की विधि और उपाय
by admin | Jun 9, 2020 | astrology |
काली कल्याणकारी!
आगामी 21 जून को होने वाले सूर्यग्रहण को लेकर अत्यन्त उत्सुकता भी है और भय का माहौल भी बना हुआ है अतः जानिए सूर्यग्रहण का समय, प्रकार, ग्रहण का मानव जीवन पर पड़ने वाले प्रभावों को जानने की ज्योतिषीय विधि, सूर्यग्रहण के प्रभाव, सूतक समय तथा सूर्यग्रहण के दुष्प्रभावों से बचने के ज्योतिषीय उपाय, हमारे इस आर्टिकल में।
सूर्यग्रहण की तिथि, समय व प्रकार-
21 जून को होने वाला सूर्यग्रहण वलयाकार होगा अर्थात चंद्रमा द्वारा ढके जाने पर सूर्य की किरणें चंद्रमा के चारों ओर से ऐसे दिखाई देंगीं जैसे कि कोई सोने का कंगन दिखाई देता है, परन्तु यह वलयाकार आकॄति कुछ ही समय के लिए होगी जो कि लगभग 39 सेकेंड तक रहेगी और उसके बाद चाँद अपने स्थान से आगे बढ़ता हुआ सूर्य के अन्य भाग को प्रदर्शित करता जाएगा। इस सूर्यग्रहण में चंद्रमा सूर्य के पूर्ण भाग को न ढककर उसके लगभग 98 प्रतिशत हिस्से को ढकेगा। यह ग्रहण भारत, पाकिस्तान, नेपाल, सऊदी अरब, और अफ्रीका के कुछ देशों में दिखाई देगा। मोटे तौर पर भारत में इस ग्रहण का आरम्भ 21 जून 2020 को सुबह 9:16 को होगा, ग्रहण मध्य 12:10 को होगा और ग्रहण सम्पन्न होगा दोपहर 3:05 पर।
सूतक काल व सावधानियाँ-
ग्रहण आरम्भ के 12 घंटे पूर्व से सूतक काल आरम्भ होता है और ग्रहण मोक्ष अर्थात समाप्ति तक रहता है अतः 21 जून को पड़ने वाले सूर्यग्रहण के लिए सूतक 20 जून को रात्रि 9:16 से आरम्भ हो जाएगा और 21 जून को दोपहर 3:05 तक रहेगा।
इस दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं करने चाहियें लेकिन मंत्रजाप व सिद्धि आदि के लिए यह समय परम फल प्रदान करने वाला होता है।
सूर्यग्रहण को कभी भी नंगी आँखों से देखने की भूल न करें , 26 दिसम्बर 2019 को हुए सूर्यग्रहण के दौरान कुछ अतिउत्साही व्यक्तियों ने कुछ भी खाने पीने की धार्मिक मान्यता को अंधविश्वास बताने के लिए खुले आसमान के नीचे सूर्यग्रहण के समय एक भोजन समारोह का आयोजन किया था और इसी चक्कर में बहुत से व्यक्ति अपनी आँखों की रोशनी से हाथ दो बैठे थे, बाद में अखबार में खबर आई थी कि उनकी आँखों की रेटिना जल गईं थीं।
प्रायः विज्ञान के कुछ उत्साही तर्की सूर्यग्रहण को लेकर ज्योतिष और धार्मिक मान्यताओं को अंधविश्वास की संज्ञा देते हैं लेकिन वे भूल जाते हैं कि आकाश में होने वाली प्रत्येक घटना का मानव के जीवन पर असर पड़ता है यदि ऐसा न होता तो सूर्य के उत्तरायण और उत्तरगोल में आते ही गर्मी न बढ़ती और लोग कूलर ए सी की ओर भागते न दिखते, इसी तरह वर्षा आदि को भी समझा जा सकता है। सूतक भी एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है इसके वैज्ञानिक पक्ष को हम 26 दिसम्बर के सूर्यग्रहण के अपने आर्टिकल में बता चुके हैं आज यहाँ सूतक के मनोवैज्ञानिक कारणों को समझ लीजिये। सूतक मनाने की मान्यता आज की न होकर हजारों वर्षों पूर्व की है तब का परिवेश आज के परिवेश से पूर्णतया भिन्न था इसीलिए ग्रहण के पड़ने वाले दुष्प्रभावों को सीमित करने के उद्देश्य से यह मान्यता बनाई गई थी, अब सोचिए यदि ऐसे में मंदिर खुले हों और बाहर आने जाने की कोई मनाही आदि न हो तो व्यक्ति जाने अनजाने में, कौतूहलवश आकाश में सूर्यग्रहण को देख सकता है और अपनी आँखों से हाथ धो सकता है इसीलिए मंदिर जाना, व्यापार के लिए जाना, शुभ कामों आदि के लिए जाना वर्जित किया गया कि व्यक्ति कम से कम बाहर निकलें और ग्रहण के समय सूर्य के विकिरण और तीक्ष्ण रोशनी से बचे रहें। आज के दौर में आप इसे कोरोना से बचने के लिए लॉकडाउन आदि से समझ सकते हैं हो सकता है आगे जब कोरोना का कोई टीका निकल आये तो आने वाली पीढ़ी लॉकडाउन, बार बार हाथ धोने आदि का मजाक उड़ाए, लेकिन सदैव ध्यान रखिये कोई भी टीका या दवा आपके बुनियादी परहेज से बड़ी नहीं हो सकती, सूतक ऐसा ही परहेज है।
सूर्यग्रहण को प्रायः अशुभता और हानि की दृष्टि से ही देखा जाता है जबकि यह शुभ और अशुभ दोनो तरह में से किसी एक या दोनों फलों को देने वाला हो सकता है। चलिए अब आपको वह विधि बता देते हैं जिससे कि आप सरल गणित के द्वारा जान जाएंगें कि ग्रहण किसके लिए शुभ और किसके लिए अशुभ प्रभाव देने वाला होगा-
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21 जून के सूर्यग्रहण का संसार पर प्रभाव-
इस सूर्यग्रहण को लेकर बहुत अधिक भय व्याप्त है परन्तु आप एक बात समझिए कि यदि आप अपना ध्यान अनिष्ट की ओर लगाए रहेंगें तो आपको अनिष्ट ही दिखेगा, जैसे कि यदि आप किसी अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में देखेंगें तो पाएंगे कि कई सारे व्यक्ति किसी न किसी भयानक दुर्घटना या बीमारी से ग्रसित होकर वहाँ अपने जीवन के लिए संघर्ष कर रहे हैं और यदि आप किसी व्यस्त श्मशान में चले जाएं तो पाएंगे कि लोग मृत्यु को ही प्राप्त हो रहे हैं। अब यदि आप किसी मंदिर में चले जाएं तो पाएंगे कि सब भजन पूजन ही कर रहे हैं या किसी मॉल या पिक्चर हाल में जाएं तो पाएंगे कि सब खुश ही हैं कि किसी को कोई दुख है यह ही नहीं दिखाई दे रहा। कहने का मतलब है संसार में सुख-दुःख, जीवन मृत्यु निरंतर चलती रहती है तो इसके सिर्फ एक ही हिस्से को देखना या दिखाकर भयभीत होना या भयभीत कराना उचित नहीं है।
यह सूर्यग्रहण शुभ फल देने वाला नहीं होगा, अत्यधिक वर्षा, फसलों की हानि, बाढ़, भूकम्प, प्राकृतिक आपदाएं, छद्म-युद्ध और रहस्यमय बीमारियों का प्रकोप रहेगा। परन्तु 21 जून वर्ष का सबसे बड़ा दिन होता है इस दिन सूर्य सबसे अधिक समय तक क्षितिज के ऊपर दिखाई देता है अतः यह बड़े जनसंहार को रोकने वाला भी होगा।
अब बात कर लेते हैं कि कोरोना का क्या होगा तो इसे लेकर पिछली पोस्ट में कहा ही था कि यह 27 मई तक बहुत अधिक तक नियंत्रण में आ जायेगा परन्तु वह गणना सही नहीं सिद्ध हुई। 27 मई के बाद आम जन जीवन तो लगभग सामान्य हुआ परन्तु कोरोना संक्रमण नहीं थमा, इसको लेकर उसी पोस्ट के अगले दिन एक पोस्ट भी की थी जब शराब इत्यादि की दुकानें खोल दी गईं और राहु को काल रूप में न्योता दे ही दिया है तो अब यह संक्रमण कब जाएगा इसकी गणना ही व्यर्थ है, यह कुछ ऐसे ही है कि अगर आपका पेट खराब है और डॉक्टर आपको दवा दे और साथ में हल्का भोजन लेने को कहे परन्तु आप दवा तो खाएं लेकिन भोजन में बदपरहेजी करें और डॉक्टर से कहें कि आपकी दवा काम नहीं कर रही।
राहु और शनि दोनों ही ग्रह वायुजनित और विषाणुजनित रोगों को उत्पन्न करते हैं और मद्य या नशीले पदार्थों से यह दोनों ही ग्रह कुपित होते हैं और विनाश की अंतिम सीमा तक व्यक्ति को पहुँचा देते हैं तो अब कोरोना संक्रमण समाप्त होने की तिथि दूर दूर तक नहीं दिखाई दे रही, सूर्यग्रहण के बाद यह स्थिति और विस्फोटक हो सकती है और यह पश्चिम से उत्तर दिशा के क्षेत्रों से होते हुए पूर्व के राज्यों में बढ़ेगी। इसी के साथ अब यह संक्रमण कम उम्र और युवाओं में भी होने की आशंका है। अर्थात अब यह संक्रमण उल्टी दिशा में बढ़ेगा जैसे पहले पुरुषों को अधिक हो रहा था तो ग्रहण के बाद स्त्रियों को अधिक होगा इसी तरह वृद्धों को परेशान करने वाला यह संक्रमण अब युवाओं को परेशान कर सकता है। जैसा कि पिछली पोस्ट में बताया भी था कि पहले यह संक्रमण छुपे हुए रूप में था परन्तु अब यह स्पष्ट रूप से सामने आएगा बस इसकी घातकता उतनी नहीं होगी इतना ही संतोष किया जा सकता है।
विशेष उपाय-
उपाय बहुत ही सरल और आसान है इसके लिए आपको बस एक छोटी मिट्टी की नई मटकी, थोड़ा सा गेरू , जल, एक चुटकी हल्दी और दूर्वा घास की आवश्यकता होगी।
प्राकृतिक आपदाओं, महामारी आदि से स्वयं और अपने परिवार जनों को बचाने के लिए सभी लग्न राशि के सभी व्यक्ति यह उपाय करें-
1. यह उपाय सभी को 14 जून को सूर्योदय से लेकर मध्याह्न काल के मध्य कभी भी करना है।
2. 14 जून को एक नई मटकी लें और उस नई मटकी को आप बाहर की ओर से गेरू से पोत लें और उस गेरू से पुती मटकी को अपने घर की छत पे मिट्टी या ईंटों के द्वारा फिक्स कर लें। मटकी छत पे अच्छी तरह स्थापित हो जानी चाहिए हिलनी नहीं चाहिए,
जब मटकी स्थापित हो जाये तो उसमें लगभग आधी मटकी तक जल भर दें और उसके बाद उसमें एक चुटकी हल्दी डाल दें और हल्दी डालने के बाद, दूर्वा घास की एक पत्ती मटकी के जल में डाल दें और उसे प्रणाम कर छत पे खुली मटकी स्थित रहने दें।
3. 15 जून से लेकर 20 जून तक हर दिन सूर्योदय से मध्याह्न के मध्य के किसी समय पर उस मटकी में इतना जल और डालकर बढ़ाएं कि 20 जून तक मटकी पूरी भर जाए। इसके लिए 15 जून से 20 जून तक प्रतिदिन मटकी में आपको थोड़ा थोड़ा जल डालना होगा।
4. एक परिवार के लिए एक ही मटकी पर्याप्त होगी और घर का कोई भी एक सदस्य यह उपाय कर सकता है, परन्तु यह ध्यान रखें कि जो भी एक व्यक्ति यह उपाय करे उसे ही अगले सारे दिन जल देना होगा उसके स्थान पर परिवार का कोई अन्य सदस्य जल नहीं देगा।
5.स्वच्छ जल का प्रयोग करें और हर बार जल बढ़ाने के बाद मटकी को प्रणाम करें। जिनके घरों में छत पर सम्भव न हो वे इसे अपनी किसी बालकनी में कर सकते हैं शेष प्रक्रिया वही रहेगी। ध्यान दें किसी भी रूप में यह उपाय घर के आँगन या घर के भीतर के किसी कमरें में नहीं करनी है। जिनके यहाँ न छत की सुविधा हो और न ही बाल्कनी की सुविधा हो वे इस उपाय को न करें बल्कि श्री सूर्याय नमः इस मंत्र का 14 जून से लेकर 22 जून तक प्रतिदिन एक माल जप करें।
6. 21 जून को मटकी के पास किसी को नहीं जाना है न ही उसमें जल आदि देना है। 22 जून को सूर्योदय से मध्याह्न के मध्य कभी भी मटकी को उठा लें और उसके बचे हुए जल को किसी नाली में बहा दें और मटकी को उल्टी करके छत के किसी भी एक कोने में रख दें और जब तक वह रखी रह सके रखी रहने दें।
यहीं आपका उपाय पूर्ण हो जाएगा।
शेष काली इच्छा!
~आचार्य तुषारापात
(ज्योतिष डॉक्टर)
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