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acharya tusharapaat

काली कल्याणकारी!
कर्क संक्रांति और दक्षिणायन का कारण-

सूर्य के कर्क राशि में प्रवेश करते ही दक्षिणायन आरम्भ हो गया है, पुराणों और प्राचीन शास्त्रों में इसे देवताओं का सूर्यास्त और असुरों का सूर्योदय कहा गया है। वास्तव में इस मान्यता के पीछे प्राचीन ज्योतिर्विज्ञान (ज्योतिष) है जो यह बताता है कि सूर्य की परिक्रमा करती और अपने अक्ष पर घूमती पृथ्वी की दिशा बदल रही है और उत्तरी गोलार्ध में सूर्य की किरणों का कोण परिवर्तित हो रहा है जिससे सूर्य के प्रकाश से संचालित पृथ्वी के इस उत्तरी गोलार्ध जिसमे हम रहते हैं कई तरह के परिवर्तन होते हैं। सूर्य के प्रकाश के कोण बदलने से हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है और मौसम भी प्रतिकूल हो जाता है, इसी प्रतिकूलता के कारण ये कह दिया जाता है कि देवताओं यानी शुभता का सूर्य अस्त हो रहा है और असुरों यानी अशुभ कार्यों का उदय हो रहा है।

 

प्रभाव-

आने वाले छह महीनों में भारत के लिए स्थिति कई तरह से चिंताजनक होने की आशंका है जैसा कि सूर्यग्रहण और कोरोना से जुड़े पिछले लेखों में हमने बताया ही था कि महामारी, भूकम्प, बाढ़, अत्यधिक वर्षा, रहस्यमय बीमारियाँ, सर्दी की फसलों का नुकसान, सीमा क्षेत्रों में तनाव (खास तौर पर पूर्वी क्षेत्रों में) आदि का प्रकोप बनेगा।
इससे और कोरोना से जुड़े जो उपाय बताए थे वो आप में से बहुतों ने किए भी थे ऐसे कई संदेश हमें मिले थे।
कोरोना को लेकर भी जो गणना की वो बहुत हद तक सही हुईं परन्तु कोरोना खत्म होने की गणना विफल रही कारण उसके जो भी बने हों लेकिन इस महामारी का अभी 6 महीनों में प्रसार ही प्रसार दिखाई दे रहा है इसलिए इसको देखते हुए और वर्तमान ग्रह स्थितियों और दक्षिणायन सूर्य से संबंधित सभी बातों का ध्यान करते हुए सभी के लिए एक सरल सा उपाय बता रहा हूँ आप सब कर लेंगें तो अच्छा है। हाँ इसके साथ साथ आपको कोरोना संबंधी सभी हिदायतों और परहेज का पालन करना भी अनिवार्य है इतने आप सब समझदार हैं ही।
उपाय-
1. यह उपाय सभी राशि, लग्न और किसी भी आयु वर्ग के स्त्री पुरूष आदि सभी व्यक्तियों के लिए है।
2. इसे परिवार का मुखिया या कोई भी एक सदस्य सभी सदस्यों के लिए कर सकता है।
3. सामग्री के नाम पर आपको बस कुछ A4 टाइप के सफेद कोरा कागज (प्लेन पेपर) चाहिए थोड़ी पिसी हल्दी, एक मीटर लंबा पीला धागा तथा एक सलाई या पेन जैसी कोई चीज जिसे आप हल्दी के घोल में डुबो के सफेद कागज़ पर बताया गया यंत्र बना सकें।
4. यंत्र की कुल संख्या परिवार के सदस्यों और उनके वाहनों की संख्या के योग में तीन और जोड़ लें उतनी बनानी है। जैसे कि आपके परिवार में अगर कुल चार सदस्य हैं और दो वाहन हैं तो 4+2=6 और इस 6 में 3 और जोड़ लें तो आपको नौ यंत्र बनाने होंगें । अर्थात आप 9 कागज के पन्ने लेकर सभी पर अलग अलग यह यंत्र बनायेंगें।
यंत्र कैसे और कब बनाना है (चित्र देखें)-
1. सर्वप्रथम इस चित्र को देखें यहाँ हमने इसे पेन से बनाया है आपको यही सरल सा दिखने वाला यंत्र, सफेद कागज पर हल्दी के घोल से किसी सलाई या तीली की सहायता से बनाना है।
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2. यह उपाय आप श्रावण मास की कृष्ण त्रयोदशी अर्थात 18 जुलाई से आरम्भ करेंगें और श्रावण मास की शुक्ल पंचमी (नाग पंचमी) अर्थात 25 जुलाई के सूर्यास्त से मध्य रात्रि के मध्य पूर्ण करेंगें
3. 18 जुलाई को सूर्यास्त के बाद से रात्रि के 12 बजे के मध्य आप किसी भी समय यह उपाय कर सकते हैं।
4. सर्वप्रथम स्नान आदि के उपरांत अपने पूजन स्थल पर दीपक जलाएं और चंदन आदि की सुगंध करें।
5. अपने आसन पर बैठ जाएं और जितने यंत्र बनाने हैं उतने कागज के पन्ने ले लें।
6. पिसी हल्दी में पानी मिलाकर ऐसा घोल बनाये जो बहुत गाढ़ा या पतला न हो और जिससे लिखा जा सके।
7. अब अपने कुलदेवता/कुलदेवी यदि ज्ञात हों तो उनका नाम लें यदि नहीं ज्ञात हो तो कुलदेवता/कुलदेवी को नमस्कार है ऐसा कहें। उसके बाद अपने माता पिता का नाम लें।
8. फिर यंत्र बनाना आरम्भ कर दें और मन में श्री सूर्याय नमः यह जपते रहें (जप की कोई संख्या नहीं है बस अपने मन मे इसे दोहराते रहें। यंत्र अगर टेढ़ा मेढ़ा या बहुत गहरा न बने तो परेशान न हों उससे कोई अंतर नहीं पड़ेगा बस आप चित्र में दिखाए गए नम्बर ध्यान से देख लें और वही नम्बर उसी खाने में लिखें चाहे वो टेढ़ा मेढ़ा कैसा भी लिखा हो।
8. जब सारे यंत्र बन जाएं तो उसे अपने सामने पूजन स्थल पर रख दें एक मीटर लंबे पीले धागे को भी उसी के साथ रखें और यह मंत्र एक माला (108) जपें-
“काली काली महाकाली कालिके परमेश्वरी ।
सर्वानन्दकरी देवी नारायणीनमोऽस्तुते ।।”
9. मंत्र जपने के बाद माँ काली और भगवान शिव से प्रार्थना करें – “हे माँ और हे भगवान शंकर हम आपकी शरण में है कृपया इस यंत्र को जाग्रत कर अपने भक्त की रक्षा करें।”
10. उसके बाद सभी यंत्रों को पूजन स्थल पर रखा रहने दें बस एक यंत्र उठा लें और उसे एक पानी से भरे लोटे में डुबो के वहीं उसी पूजन स्थल पर रखा रहने दें और प्रणाम करके उठ जाएं।
11. पंद्रह मिनट के बाद उस लोटे को पूजन स्थल से उठा के उसके जल को अपने पूरे घर में छिड़क दें और बचे हुए कागज़ को घर के किसी गमले आदि (मिट्टी में) दबा दें। लोटे वाला यंत्र आपको मात्र 18 जुलाई अर्थात प्रथम दिवस और 25 जुलाई अर्थात अंतिम दिन ही करना है शेष दिनों (19-24 जुलाई) में मात्र मन्त्र जपना है।
12. ऊपर बताया गया मन्त्र आपको 18 जुलाई से लेकर 25 जुलाई को प्रतिदिन सूर्यास्त और मध्यरात्रि के मध्य एक माला जपना है इस दौरान सभी यंत्र आपके पूजन स्थल पर ही रहेंगें और उन्हें आप हटाएंगे नहीं।
13. 25 जुलाई को मंत्र जप के बाद माँ काली और भगवान शिव से वही प्रार्थना उसी तरह करने के ठीक बाद, एक यंत्र को उसी तरह लोटे से भरे जल में डुबो देना और पंद्रह मिनट के बाद उसके जल को घर भर में छिड़क देना है जब तक लोटे में भिगोया यंत्र जल में शक्ति देगा तब तक बाकी बचे सारे यंत्रों को एक एक करके मोड़ के छोटी छोटी डॉक्टर की दवा वाली पुड़िया सा बना लेना है और हर पुड़िया को पीले धागे से
बाँध लेना है।
14. घर के हर सदस्य को एक एक पुड़िया अपने पर्स या अपने पास रखने को बोलना है और एक एक पुड़िया अपने वाहन में रखने को कहना है। पुड़िया को पन्नी आदि में नहीं करना है यह ध्यान रखें। घर के सभी सदस्यों और सभी वाहनों के लिए यंत्र निकलाने के बाद एक पुड़िया और बचेगी उसे आप अपने घर के मुख्य दरवाजे (लकड़ी वाले मेन गेट नहीं) के ऊपर ठोक दीजिए।
15. पुड़िया के गलने या लिखा हुआ यंत्र उड़ने की चिंता न करें 2 दिन में उसकी शक्ति संबंधित व्यक्ति वाहन और घर में चली जायेगी। जब भी कोई यंत्र गल जाए या किसी कारण से खराब हो जाये उसे घर के कच्चे स्थान या गमले की मिट्टी में आपको दबा देना है।
यह उपाय करें
काली रक्षा करेगी
शेष काली इच्छा!
~आचार्य तुषारापात
  (ज्योतिष डॉक्टर)
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