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काली कल्याणकारी!
इस नवरात्र शुद्ध कीजिये अपने घर की दशों दिशाओं को और दूर कीजिये अपने घर का सम्पूर्ण वास्तुदोष!
आधुनिक काल में शायद ही ऐसा कोई घर हो जहाँ छोटा या बड़ा कोई वास्तुदोष न हो। वास्तु का प्रभाव हमारे जीवन पर लगभग 20 प्रतिशत पड़ता है यही कारण है कि वास्तुदोष के दुष्प्रभाव प्रायः देर से दिखाई देते हैं।
यदि आपका अपना घर है तो यह अत्यंत ही आवश्यक है कि आप अपने घर का वास्तु संतुलित रखें क्योंकि वास्तुदोष से पीड़ित गृह में अगली पीढ़ी को अत्यंत कष्ट उठाना पड़ता है इसका मतलब यह नहीं है कि किराये पर लिए गए मकान का गड़बड़ वास्तु किरायेदार को कम कष्ट पहुँचाता है कहने का मतलब यह है कि किरायेदार तो अपना घर बदल भी सकता है।
यदि आपका अपना मकान है अथवा आप किराये पर रहते हैं दोनों ही स्थितियों में आप सभी को यह सरल सा उपाय इस नवरात्र अवश्य करना चाहिए, माँ ने चाहा तो लाभ अवश्य होगा।
विशेष-
उपाय जानने से पहले कुछ आवश्यक बिंदुओं पर ध्यान दें क्योंकि हर पोस्ट के बाद कुछ इस तरह के सवाल होते हैं।
1. जो भी उपाय आपको बताये जाते हैं वो साधारण गृहस्थ व्यक्ति की सामर्थ्य को ध्यान में रखकर ही बताये जाते हैं अर्थात न्यूनतम कठिनाई वाले उपाय ही आप सभी के लिए बताये जाते हैं परंतु उसके बाद भी कुछ व्यक्ति यदि-व्यदी करते दिखते हैं कि अगर ऐसा न कर पाएं वैसा न हो पाए आदि आदि। इस तरह की बातें आपकी इच्छाशक्ति और लगन के बारे में स्पष्ट परिचय करा जाती है हाँ यदि वास्तव में किसी को कोई समस्या हो और वो कोई उपाय नहीं ही कर पा रहा हो तो अलग बात है परंतु भरे पेट वालों का भूख के लिए रुदन दिखाना जैसा जब देखता हूँ तो आश्चर्य होता है याद रखिये रोगी यदि वास्तव में रोग से छुटकारा चाहता है तो वह औषधि के स्वाद में मीठा या नमकीन के विकल्प की माँग नहीं करता।
2. उपायों से लाभ आपके रहने के स्थान/शहर, उपाय करने के आपके समय और सबसे अधिक आपकी इच्छाशक्ति पर निर्भर करता है इसीलिए अलग अलग व्यक्तियों के द्वारा एक ही उपाय से प्राप्त फलों में जमीन आसमान का अंतर दिखाई देता है। अगर पूरी श्रद्धा, विश्वास लगन और इच्छाशक्ति से उपाय किये जायें तो देवता भी उतर के आपका कार्य करते हैं। अर्जुन के पास सबसे अच्छे ब्रह्मास्त्र थे परंतु इच्छाशक्ति की कमी थी इसलिए भगवान कृष्ण ने उन्हें गीता का उपदेश दिया। मैं आपको रास्ता दिखा सकता हूँ चलना आपको है बाद में आकर यह कहना कि गुरुजी कुछ हुआ नहीं परन्तु यह कोई नहीं कहता कि हमने उपाय कितना किया, गुरु को पता सब होता है उससे चालाकी न करें और मैं पंखा नहीं बेच रहा कि आपको गारंटी देता फिरूँ।
3. उपाय आप एक ढूँढेंगें एक लाख मिलेंगें परन्तु मैं अपनी साधना से, अपने स्वाध्याय से और प्राचीन शास्त्रों और ग्रन्थों का अपनी बुद्धि से आधुनिक युग के लिए उनमें शुद्धिकरण करके उपाय बताता हूँ इसमें समय लगता है और आपसे कोई धन आदि भी नहीं लेता अतः इसका मान रखें अन्यथा जैसे हमने प्राचीन ज्ञान को पहले खो दिया पुनः यह विलुप्त हो जाएगा। कुतर्की और ठिलुआपंती लोग इन उपायों से कुछ न पा सकेंगें। शेष जब तक धरा पर हूँ माँ की आज्ञा से वैदिक संस्कृति ज्योतिष और भारतीय विज्ञान के लिये जितना कर सकूँगा करता ही रहूँगा।

सभी प्रकार के वास्तुदोष दूर करने का अचूक उपाय-

1. सबसे पहले नीचे दिए गए चित्र को ध्यान से देखें इसे आपको एक नए सूती सफेद रुमाल पर हल्दी के घोल से बना लेना है टेढ़ा मेढ़ा बने तो भी कोई समस्या नहीं बस दिए गए अंक सही खाने में होने चाहिए।

2. दशों दिशाओं के वास्तु को संतुलित करने वाला यह विशिष्ट उपाय आपको नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि से विजयदशमी तिथि के दस दिनों तक करना है। इस उपाय को अपने नित्य नवरात्र पूजन के बाद आप नीचे बताये गए समय पर कभी भी कर सकते हैं, उपाय घर का मुखिया करे तो सर्वोत्तम नहीं तो घर का कोई भी स्त्री पुरुष कर सकता है, अब विधि ध्यान से पढ़ें-

3. सर्वप्रथम प्रतिपदा तिथि अर्थात 17 अक्टूबर को सूर्यास्त के बाद और मध्यरात्रि के मध्य के किसी भी समय पर आप सफेद सूती नए रुमाल पर यह यंत्र बनाएंगें उसके बाद अपने पूजन स्थल पर इस रुमाल को किसी चौकी आदि पर ऐसे बिछा देंगें कि लिखे गए गए अंक आपकी ओर से सीधे दिखाई दें। उसके बाद सामान्य दीपक (देशी घी) प्रज्ज्वलित करें और इस मंत्र को एक माला (108 बार) जपें- ॐ शेषाये नमः

इस मंत्र को जपने के बाद चौकी पर बिछा रुमाल आपको वैसे ही विजयदशमी तक अपने पूजन स्थल पर छोड़ देना है और प्रतिदिन पूजन करना है।

2. अगले दिन अर्थात द्वितीया तिथि को सूर्यास्त के बाद और मध्यरात्रि के मध्य के समय के बीच पुनः दीपक प्रज्ज्वलित कर आपको एक माला (108 बार) यह मंत्र जपना है- ॐ नमः शिवाय


3. इसी तरह तृतीया तिथि को भी सूर्यास्त के बाद अपने निश्चित किये समय पर आप पूर्व दिनों की भाँति दीपक जलाकर चौकी पर रखे रुमाल के सामने अपने आसन पर बैठकर यह मंत्र एक माला जपेंगे-
ॐ अग्नेय नमः

4. इसी तरह चतुर्थी तिथि पर पूर्व दिनों के अनुसार तैयारी कर यह मन्त्र एक माला जपें-
ॐ नैऋताय नमः

5. इसी तरह पंचमी तिथि को आप यह मंत्र एक माला जपेंगें-
ॐ इन्द्राय नम:

6. षष्ठी तिथि के लिए एक माला यह मंत्र रहेगा-
ॐ वायुदेवाय नमः

7. सप्तमी तिथि पर एक माला इस मंत्र की जपें-
ॐ कुबेराय नम:

8. अष्टमी तिथि के लिए एकमाला यह मंत्र रहेगा-
ॐ यमाय नम:

9. नवमी तिथि पर इस मंत्र की एक माला जपना है-  ॐ वरुणाय नम:

10. दशमी तिथि की रात्रि में रुमाल पे बने यंत्र के सामने बैठकर एक सामान्य घृत दीपक प्रज्ज्वलित कर एक माला यह मंत्र जपना है-
ॐ ब्रह्माय नमः

इस मंत्र को जपने के बाद अपने आसन से उठ जाएं, रुमाल पर बना यंत्र पूजन स्थल पर वैसे ही रहेगा जैसा कि पिछले नौ दिनों से था।

11. एकादशी को सूर्योदय से लेकर मध्यान्ह के मध्य कभी भी रुमाल यंत्र को उठाकर उसमें सवा मुठ्ठी जौ भरकर और एक या दो रुपये का एक सिक्का डालकर उसकी एक पोटली बना लें और बंधी हुई पोटली को उसी चौकी पर पुनः रख दें और उसके

सामने दीपक जलाकर आसन पर बैठकर ॐ क्रीं कालिकायै नम: इस मंत्र का एक माला जप करें।

जप के बाद पोटली को प्रणाम करें और सभी देवी देवताओं से किसी भूलचूक के लिए क्षमा याचना करें और पोटली को वहाँ से उठा के किसी नदी नहर में प्रवाहित कर दें अथवा घर से दूर किसी कच्चे स्थान पर दबा दें अथवा किसी बड़े पेड़ के पास उसे छोड़ दें। आपका उपाय यहीं समाप्त हो जाता है।
एकादशी को यह उपाय मध्यान्ह से पूर्व हो जाना चाहिये।

यह सारे मंत्र बताई गयी निश्चित तिथियों पर ही प्रभावी होंगें अतः इसमें परिवर्तन न करें आरम्भ में ही पूरी विधि अच्छे से समझ लें और उसी अनुसार दृढ़ इच्छाशक्ति से करें। यंत्र आपके सारे वास्तुदोषों को शुद्ध कर देगा किन्तु उसे घर में न रखें क्योंकि सारी नकारात्मक ऊर्जा उसमें ही समा जाएगी इसलिए एकादशी पर उसका विसर्जन अवश्य कर दें।

शेष काली इच्छा!
आचार्य तुषारापात
(ज्योतिष डॉक्टर)
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