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काली कल्याणकारी!
जीवन में आ रही बार बार समस्याओं और रुकावटों ने यदि परेशान कर रखा हो तो सभी प्रकार के जाने अनजाने पापों को धो देने के लिए कीजिये इस भीष्म पंचक पर ये सरल सा उपाय और श्री हरि भगवान नारायण की कृपा से समस्त लौकिक और पारलौकिक सुखों को पाएं।

भीष्म पंचक क्या है-
कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की एकादशी से लेकर कार्तिक पूर्णिमा के ये पाँच दिवस अत्यन्त ही शुभ कहे गए हैं इसे ही भीष्म पंचक कहा जाता है क्योंकि देव-प्रबोधनी एकादशी से लेकर कार्तिक पूर्णिमा तक भीष्म पितामह ने पाँचो पांडवों को गूढ़ ज्ञान प्रदान किया था। इस वर्ष यह भीष्म पंचक 25 नवम्बर 2020 से आरंभ होकर 29 नवम्बर तक है। 30 नवम्बर को उदया तिथि अनुसार पूर्णिमा तिथि है अतः स्नान दान आदि 30 नवम्बर को करें।
चन्द्रग्रहण-
आगामी 30 नवम्बर 2020 के चंद्र ग्रहण को लेकर भयभीत होने की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि यह उपच्छाया चंद्रग्रहण होगा जिसे ग्रहण नहीं कहा जाता अतः सूतक आदि नहीं लगेगा।
भीष्म पंचक उपाय-
यह सरल सा उपाय घर का कोई भी एक सदस्य कर सकता है इसे आपको 25 नवम्बर 2020 को सूर्यास्त के बाद से आरम्भ करना है और 29 नवम्बर 2020 को सूर्यास्त के बाद सम्पन्न करना है। सूर्यास्त के बाद से तात्पर्य है सूर्यास्त होने के बाद एक घंटे के अंदर अंदर ये उपाय कर लेना है।
इसमें आपको 25 नवम्बर से लेकर 29 नवम्बर तक ऊपर बताये गए समय (सूर्यास्त के बाद से) अंतराल में प्रतिदिन एक घी का दीपक अपने घर के आँगन अथवा मुख्य दरवाजे के दाहिनी ओर अथवा अपनी बालकनी में प्रज्ज्वलित करना है।
दीपक में बाती और जोत किसी भी प्रकार की हो सकती है इसलिए उसकी चिंता आदि में न पड़ें। हाँ दीपक मिट्टी का ही होना चाहिए और दीपक रखने के स्थान पर पहले थोड़े से काले तिल बिछा देने है।
एक दिन दीपक जलाने के बाद अगले दिन सूर्यास्त के बाद पुनः ऐसा करके उसी स्थान पर वही दीपक (मिट्टी का) जलाना है किन्तु उस स्थान पर बिछे पिछले दिन के तिलों को किसी आटे की लोई में चिपका के साफ कर देना है और थोड़े से नए तिल बिछा के पुनः वही दीपक प्रज्ज्वलित करना है। ऐसा आपको 29 नवम्बर तक हर दिन सूर्यास्त के बाद करना है। आटे की लोई और उसमें चिपके तिलों को किसी ऐसी जगह रख आएं जहाँ कोई जीव जंतु उसे खा ले जैसे कि किसी वृक्ष आदि के नीचे उसे रख दें।
अंतिम दिन 29 नवम्बर को जब आप दीपक प्रज्ज्वलित करेंगें उसके बाद आप श्री हरि जगत के पालक भगवान विष्णु से अपने सभी कष्टों और अपने पापों को दूर करने की प्रार्थना करेंगें और अगले दिन 30 नवम्बर को सूर्योदय के बाद मध्याह्न से पहले तिलों को आटे की लोई से वैसे ही उठा लेना है और मिट्टी के उस दीपक के साथ किसी वृक्ष आदि के नीचे छोड़ आना है। उसके बाद किसी एक असहाय निर्धन व्यक्ति को भोजन अथवा धन आदि का यथा सामर्थ्य दान अवश्य करें। उपाय यहीं सम्पन्न हो जाता है।
विशेष: यदि 30 नवम्बर को आप अपने गुरु अथवा गुरु तुल्य व्यक्ति या अपने बुजुर्गों से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं तो सत्य मानिए आपकी कुंडली के अनेक दोष तत्काल समाप्त हो जाएंगें।
शेष काली इच्छा!
आचार्य तुषारापात
(ज्योतिष डॉक्टर)
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