काली कल्याणकारी!
राष्ट्र आज एक बहुत ही बुरे दौर में है एक ओर महामारी का संक्रमण बहुत अधिक गति से बढ़ता जा रहा है तो आने वाले समय में प्रकृति भी हमपर कहर बरसा सकती है। पूरे मई माह में हमें बहुत अधिक सावधान रहना है विशेष तौर पर 15 मई से 31 मई के मध्य अत्यन्त ही सतर्कता सबको बरतनी है।
हम सदैव सकारात्मक दृष्टिकोण लेकर चलते हैं इसलिये मात्र प्रसिद्धि प्राप्ति के लिये न तो कोई भ्रामक लेख लिखते हैं न ही किसी बात को बढ़ा चढ़ाकर चटपटा बनाकर ऐसे प्रस्तुत करते हैं जिससे वह अधिक से अधिक व्यक्तियों का ध्यान अपनी ओर खींचे। कई बार ऐसा भी होता है कि भयावह स्थिति ज्ञात होने पर भी हम धैर्य और सकारात्मकता बढ़ाने वाली बात ही कहते हैं वास्तविक स्थिति का वर्णन इसलिये नहीं करते कि जनसामान्य में भगदड़ का वातावरण न बन जाये।
परन्तु इस मई माह में ग्रहों के गोचर से कुछ विशेष स्थितियाँ बनेंगी जो कि मानव जीवन को गहन प्रभावित कर सकतीं हैं जैसे कि शनि का वक्री होना और मई के अंतिम सप्ताह में चन्द्रग्रहण का होना आदि। अतः यह आवश्यक है कि नीचे बताये गये ये विशेष उपाय अपनी और अपने परिवार की रक्षा हेतु अवश्य कर लें। इन उपायों के अतिरिक्त महामारी संबंधी सारे दिशा निर्देशों का पालन आपको अवश्य करना ही है यह कहने की कोई आवश्यकता नहीं होनी चाहिये क्योंकि आप सभी बुद्धिमान हैं। यह सारे उपाय आपकी सजगता, रोग प्रतिरोधक क्षमता और बुद्धि को तेज करने के लिये हैं जिससे कि प्रतिकूल परिस्थिति होने पर आप त्वरित सटीक निर्णय लेकर स्वयं को उस समस्या से बाहर निकाल लायें और आपको जीवन रक्षक संसाधनों का अभाव न हो, अतः उपायों के साथ आजकल बताये जा रहे सभी सामान्य दिशा निर्देशों का पालन भी करना है और पूर्व में बताये गये उपाय भी आपको करते रहने हैं।
पिछले वर्ष महामारी के प्रकोप के समय हमारा मुख्य ध्यान सूर्य ग्रह पर था क्योंकि सम्पूर्ण जगत की रोग प्रतिरोधकता का कारक सूर्य है किंतु इस वर्ष महामारी का प्रकोप अधिक बलशाली है और पिछले वर्ष और इस वर्ष की स्थिति की समीक्षा करने पर यह अल्प निष्कर्ष प्राप्त हो रहा है कि महामारी की यह स्थिति तभी अधिक गहरा रही है जब जब सूर्य राशिचक्र में मजबूत स्थिति में होता है। इसका कारण है सूर्य का शत्रु ग्रह शनि जो कि वायु का कारक है अपनी ही राशि में 30 वर्षों के उपरांत बहुत अधिक मजबूत स्थिति में है और सूर्य का दूसरा परमशत्रु राहु जो कि विषाणु संक्रमण का कारक है , भी प्रबल स्थिति में है। स्थिति और विकट इसलिये हो गयी है क्योंकि आक्सीजन का कारक ग्रह बृहस्पति भी शनि की कुंभ राशि में है।
यही कारण है कि मात्र सूर्य पर आधारित गणना करने के कारण महामारी समाप्त होने की अनेक भविष्यवाणी असत्य सिद्ध हुईं। चूँकि शनि और बृहस्पति ग्रह दोनों मन्द गति के ग्रह हैं अतः यह महामारी पूर्ण रूप से समाप्त होने में बहुत अधिक समय लेगी अतः ज्योतिषीय उपायों के साथ साथ अपने जीवन को बदली हुई परिस्थितियों के अनुसार ढालना ही एक मात्र विकल्प है।
उपाय स्पष्टीकरण-
सभी राशि/लग्न के स्त्री-पुरुष, वृद्ध-बच्चे सभी यह उपाय कर सकते हैं। बारह वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिये यह उपाय उनके माता पिता या बड़े भाई बहन में से कोई एक कर सकता है। इसीप्रकार वृद्धों के लिये उनके परिवार का कोई भी सदस्य उपाय कर सकता है। जो व्यक्ति उपाय करने में सक्षम है वह अपने लिये स्वयं ही उपाय करे, अर्थात वृद्धों और बच्चों के अतिरिक्त परिवार के सभी व्यक्तियों को अपने अपने लिये यह उपाय पृथक रूप से करने हैं। यह उपाय आप मई माह के किसी भी दिन कर सकते हैं, जितना शीघ्र कर लेंगे उतना अच्छा रहेगा। किस समय करें यह उपाय में दिया गया है।
विशेष उपाय (1) और विशेष उपाय (2) ये दोनों उपाय आपको करने हैं।
विशेष उपाय 1-
नीचे बताये गये (अ) अथवा (ब) उपाय में से कोई एक उपाय आपको करना है-
(अ)
किसी भी दिन सूर्यास्त के ठीक बाद अपने पूजन स्थल पर एकमुखी खड़ी जोत का दीपक (घी अथवा किसी भी तेल का) प्रज्ज्वलित करें। चंदन आदि धूप बत्ती से सुगंध करें। दीपक और अपने मध्य, गहरे नीले रंग के कपड़े के ऊपर ‘शमी’ की जड़ के छोटे से टुकड़े को रखें और शमी की जड़ को देखते हुये एक माला (108 मन्त्र) यह मंत्र जपें-
(किसी अन्य के लिये उपाय कर रहे हों तो उसका नाम एक बार लेकर मंत्र जपना आरंभ करें।)
‘ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।।’
मन्त्र जपने के बाद शमी की जड़ को उसी गहरे नीले रंग के कपड़े के टुकड़े में किसी काले अथवा नीले धागे से बाँध देना है और उस कपड़े की पुड़िया को अपने पूजन स्थल में पूरे वर्ष के लिये रखा रहने देना है। यह उपाय यहीं सम्पन्न हुआ।
घर का हर सदस्य यह उपाय अपने लिये स्वयं करेगा शेष बच्चों और वृद्धों के लिये जैसा ऊपर पहले ही बताया गया है उस अनुसार करें।
अथवा
यदि किसी को शमी की जड़ नहीं मिलती या किसी अन्य कारण से यह उपाय नहीं कर पाते तो इस उपाय (अ) के बजाय यह उपाय (ब) करें-
(ब) किसी भी दिन सूर्यास्त के ठीक बाद अपने पूजन स्थल पर एकमुखी खड़ी जोत का दीपक (घी अथवा किसी भी तेल का) प्रज्ज्वलित करें। चंदन आदि धूप बत्ती से सुगंध करें। दीपक और अपने मध्य, लाल रंग के कपड़े के ऊपर खड़ी काली मिर्च अर्थात काली मिर्च के आठ (8) दाने रखें और काली मिर्च के दानों को देखते हुये तीन माला (108×3 मन्त्र) यह मंत्र जपें-
(किसी अन्य के लिये उपाय कर रहे हों तो उसका नाम एक बार लेकर मंत्र जपना आरंभ करें।)
‘ॐ क्रीं कालिकायै नमः।’
मन्त्र जपने के बाद काली मिर्च के दानों को उसी लाल रंग के कपड़े के टुकड़े में किसी लाल अथवा पीले धागे से बाँध देना है और उस कपड़े की पुड़िया को अपने पूजन स्थल में पूरे वर्ष के लिये रखा रहने देना है। यह उपाय यहीं सम्पन्न हुआ।
घर का हर सदस्य यह उपाय अपने लिये स्वयं करेगा शेष बच्चों और वृद्धों के लिये जैसा ऊपर पहले ही बताया गया है उस अनुसार करें।
विशेष उपाय (2)
यह उपाय आप ऊपर बताये गये विशेष उपाय (1) के अंतर्गत (अ) अथवा (ब) उपाय करने के ठीक बाद ही करेंगें।
अब आपको एक पीले कपड़े के टुकड़े के ऊपर हल्दी की एक गाँठ रखनी है और उसे भी अपने और दीपक के मध्य ऐसे रखना है कि मंत्र जपते समय आप और दीपक के मध्य पीले कपड़े पर हल्दी की एक छोटी सी गाँठ रहे। (जिन्हें हल्दी की गाँठ न मिले वो एक पूरी कटोरी पिसी हल्दी अपने सामने पीले कपड़े पर रख लें।) उसके पश्चात तीन माला (108×3) यह मन्त्र जपें। किसी अन्य के लिये उपाय कर रहे हों तो उसका नाम एक बार लेकर मंत्र जपना आरंभ करें।-
‘ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरवे नम:।’
मन्त्र जपने के बाद हल्दी की गाँठ को उसी पीले रंग के कपड़े के टुकड़े में किसी पीले अथवा सफेद धागे से बांधकर ताबीज बना लेना है और पीले या सफेद धागे में करके अपने गले अथवा अपनी दाहिनी भुजा में पहन लेना है।
जो पहन ना पायें तो अपने ऊपर की जेब में इस ताबीज को रख भी सकते हैं बस यह ध्यान रखना है कि यह ताबीज कमर के नीचे हिस्से में न पहनना है न रखना है। अतः पैंट आदि की जेब अथवा पर्स में नहीं रखना है। हल्दी की गाँठ हर व्यक्ति स्वयं के लिये अभिमंत्रित करके पहनेगा यदि आप अपने बच्चों अथवा घर के किसी वृद्ध के लिये कर रहे हैं तो सम्पूर्ण प्रक्रिया दूसरे दिन करें।
जिन्हें गाँठ नहीं मिल पाई जिस कारण जिन्होंने पिसी हल्दी की कटोरी रखी थी उन्हें प्रतिदिन अपने मस्तक, गले , स्तन और अपनी नाभि में इस अभिमंत्रित हल्दी का तिलक करना होगा।
घर का हर सदस्य यह उपाय अपने लिये स्वयं करेगा शेष बच्चों और वृद्धों के लिये जैसा ऊपर पहले ही बताया गया है उस अनुसार करें। हल्दी की कटोरी भी प्रत्येक व्यक्ति के लिये अलग अलग रहेगी यदि आप अपने अलावा अपने बच्चों आदि के लिये उपाय करते हैं तो यह उपाय आपको अलग से दूसरे दिन करना होगा।
यह विशिष्ट उपाय करें माँ अवश्य रक्षा करेगी कल्याण करेगी।
शेष काली इच्छा!
आचार्य तुषारापात
(ज्योतिष डॉक्टर)
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बहुत बहुत धन्यवाद गुरुजी🙏🙏
काली कल्याणकारी!