कब समाप्त होगा कोरोना संकट?
कोरोना संकट को लेकर ज्योतिषियों की भविष्यवाणी बार बार क्यों बदल रही है?
काली कल्याणकारी!
कोरोना को लेकर एकतरफ तो अफवाहों का बाजार गरम है और दूसरी ओर जबसे यह संकट शुरू हुआ है तबसे लेकर आज तक कोरोना को लेकर रोज नई नई भविष्यवाणियाँ सामने आ रहीं हैं।
कोरोना संकट कब खत्म होगा और क्यों बदल रहीं हैं ज्योतिषियों की भविष्यवाणी, इसपर बात करने से पहले हम आपसे कोरोना संकट को लेकर की गई अपनी एक मात्र पोस्ट जो कि 19 मार्च को की थी, उस पोस्ट में कहे गए कुछ बिंदुओं पर बात करते हैं।
उस पोस्ट में हमने कहा था कि 24 मार्च से कोरोना का संक्रमण तेजी से बढ़ेगा और ऐसा ही देखने को मिला तथा माननीय प्रधानमंत्री जी ने आने वाले खतरे को भाँपते हुए 24 मार्च को ही 21 दिनों के लॉकडाउन की घोषणा की।
उसके बाद हमने ये भी कहा था कि जिनका राहु खराब होगा ऐसे लोग अपना टेस्ट नहीं कराएंगे और समाज में इस बीमारी को फैला के अन्य लोगों के जीवन से खेलेंगें। ऐसा ही हुआ भी आप सभी जानते हैं उसकी अधिक बात करने से पोस्ट को अलग रंग दिया जाने लगेगा।
तीसरी बात कही थी कि राहु के छुप के काम करने के प्रभाव के कारण हो सकता है कि जितनी बड़ी संख्या में यह बीमारी वास्तव में होगी उतनी दिखाई नहीं देगी। ऐसा भी दो तरह से हुआ जिनको बीमारी रही उन्होंने इसे छुपाया और बहुत से ऐसे लोग भी कोरोना से संक्रमित पाए जा रहे हैं जिनमें इस बीमारी के कोई भी लक्षण नहीं दिख रहे हैं।
चौथी बात हमने उस पोस्ट में कही थी संक्रमण के अनुपात में जनहानि कम होगी माँ काली की कृपा से हमारे देश ने अन्य देशों की तुलना में कम जनहानि उठाई।
कोरोना को लेकर की गई पुरानी पोस्ट आप इस लिंक को क्लिक कर पढ़ सकते हैं
कोरोना के ज्योतिष उपाय
अब बात करते हैं कोरोना संकट कब समाप्त होगा-
हमने अपनी पिछली पोस्ट में कहा था कि 25 अप्रैल से इस संकट का उतार शुरू होगा लेकिन इस समस्या का असर लंबे समय तक रहेगा। यद्यपि अभी भी कोरोना संक्रमित लोगों की नई संख्या में उतार दिखाई नहीं दिया है जिसका एक बड़ा कारण ये भी हो सकता है कि व्यक्ति संक्रमित पहले से हैं परन्तु उनकी टेस्टिंग होने पर जिस दिन उनके परिणाम आते हैं वे उसी दिन के नये संक्रमित लोगों में गिने जाते हैं। फिर भी मुझे आशा है कि यह उतार पर है जिस तरह एक महीने में कोरोना चढ़ा है वैसे ही अगले एक महीने में (27 मई तक) यह कम से कम होता जाएगा और उसके बाद छुटपुट रूप में कोरोना के मामले सामने आते रहेंगें। अगर ऐसा नहीं होता है तो हम ग्रहों की स्थितियों की पुनः गणना कर समझने का प्रयत्न करेंगें कि कहाँ त्रुटि रह गई।
ज्योतिषियों की भविष्यवाणी क्यों बदल रही है-
अब आते हैं उस प्रमुख विषय पर जिसके लिए यह पोस्ट और पिछली पोस्ट की बातें फिर से लिखनी पड़ी हैं।
14 अप्रैल तक कोरोना संकट समाप्त होने की बात करते करते कुछ लोग अब इसे मई , जून जुलाई सितम्बर आदि तक खींच ले गए हैं इसके लिए उनके अपने अपने तर्क भी हैं और वे तर्क ज्योतिषीय सिद्धांतो पर भी हैं लेकिन फिर भी वे स्वयं भ्रमित दिखाई देते हैं और दूसरों को भी भ्रम में कर देते हैं।
ज्योतिष एक विज्ञान है लेकिन इसमें उतनी आगे रिसर्च ही नहीं होती जितनी कि अन्य विज्ञान के क्षेत्रों में होती है।इसी वजह से ज्योतिषियों में वैज्ञानिक चिंतन और वैज्ञानिक प्रक्रिया का अभाव दिखाई देता है वह अपनी वाणी किसी भी तरह सत्य करने के चक्कर में अपनी ही गणना पर टिके नहीं रहते और समय समय पर नये नये योग बनाकर या दिखाकर अलग अलग वो बातें करने लगते हैं जिनके सत्य होने की संभावना उन्हें वर्तमान समय की स्थिति के आधार पर लगती है।
वास्तव में वर्तमान का कोरोना संकट अपने आप में नये तरह का संकट है ऐसा अनुभव बहुत कम मानव अपने जीवनकाल में करते हैं। कोरोना के इतने भयानक संकट को लेकर तो मेडिकल साइंस भी कोई पुख्ता भविष्यवाणी नहीं कर पाई और न ही अभी भी इसके बारे में कोई ठोस जानकारी चिकित्सा विशेषज्ञों के पास है लेकिन वे इसके बारे में जानकारी कर लेंगें क्योंकि वे वैज्ञानिक प्रक्रिया से रिसर्च करते हैं और उनके पास साधन भी हैं और खुद को चमत्कारिक सिद्ध करने का दबाव भी उनपर नहीं है।
इसलिये भविष्यवाणी बदलने का एक कारण ये भी हो सकता है कि ज्योतिषीय योग अर्थात ग्रहों की विशेष परिस्थितियाँ बहुत लंबे वर्षों में बनती है और इतना लंबा जीवन ही किसी का नहीं होता कि वह किसी ऐसे योग का अपने जीवनकाल में साक्षी रहा हो और नये तरह की किसी महामारी के बारे में किसी प्रामाणिक पुस्तक में भी नहीं लिखा मिलता।
शनि तीस वर्ष के बाद अपनी राशि में आये हैं और उसी समय राहु का अपनी उच्च राशि में होना, सूर्य का शनि की राशि में होना और इन सब ग्रहों की स्थिति से पूर्व 26 दिसम्बर को सूर्यग्रहण का होना आदि ऐसे संयोग हैं जो कि कोई कोई ज्योतिषी अपने जीवन में एक ही बार देखता है तो ऐसे में अनुभव की कमी के चलते नई नई भविष्यवाणियाँ आना सामान्य ही कहा जायेगा। लेकिन इस समय जो ज्योतिषी वैज्ञानिक प्रक्रिया से इसकी विवेचना करेगा वह भविष्य में कभी इस तरह की समस्या की सटीक भविष्यवाणी कर सकेगा, क्योंकि इन ग्रह योगों और वर्तमान स्थिति का उसे साक्षात अनुभव होगा। जैसे कि अगर देखा जाए तो इस महामारी का असर पश्चिमी देशों पर अधिक हुआ है और यदि देश में भी देखा जाए तो पूर्वी राज्यों की अपेक्षा देश के पश्चिमी राज्य अधिक प्रभावित दिखाई देते हैं। पश्चिम दिशा का स्वामित्व शनि का माना जाता है इसी तरह की कई और भी बातों के अध्ययन की आवश्यकता है।
ज्योतिषियों को सबसे पहले तो शास्त्र और अपने अनुभव के आधार पर अपनी सटीक गणना करने में प्रचुर समय लगाना चाहिए और फिर उसके आधार पर सटीक फलादेश कहना चाहिए और उस पर टिके रहना चाहिए। उसके बाद प्राप्त होने वाले परिणामों पर अपने फलादेश को कसना चाहिए और यदि परिणाम फलादेश के अनुसार न हो तो उसे उचक के वर्तमान स्थिति के अनुसार तुरंत नई भविष्यवाणी न करके अपनी गणना में आई त्रुटि का आँकलन करना चाहिए और स्वीकार करना चाहिए कि उसका फलादेश सही नहीं बैठा। विज्ञान में भी हर बार एक ही प्रक्रिया के परिणाम भिन्न भिन्न आते हैं इसीलिए हर प्रक्रिया से प्राप्त तीन परिणामों का औसत निकाला जाता है हाईस्कूल इंटर में किये प्रैक्टिकल सबको याद ही होगें। हर बार अंतरिक्ष के लिए सभी प्रक्रिया पूर्ण कर रॉकेट छोड़े जाते हैं लेकिन यह कोई नहीं कह सकता कि हर बार रॉकेट अपने लक्ष्य तक पहुँच ही जायेगा। इससे अंतरिक्ष विज्ञान असत्य नहीं हो जाता और न ही वैज्ञानिक झूठा हो जाता है इसी तरह ज्योतिषी को भी अपने ऊपर दबाव नहीं लेना चाहिए उसे स्वयं को साबित करने का दबाव न लेकर ज्योतिष को सत्य सिद्ध करने का प्रयास करना चाहिए अगर वो ऐसा करता है तभी ज्योतिष विज्ञान है और वह एक डॉक्टर।
शेष काली इच्छा!
~आचार्य तुषारापात
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बहुत ही गहराई से किया गया अध्ययन।प्रणाम आदरणीय।
Dhanybad.. Is uchit post ke liye
आपकी टिप्पणी व लेख, ऐसे समय में भी सकारात्मक सोच रखने में सहायता करते हैं। सबसे बड़ी बात के आपकी बताई ज्योतिष की गणनाएं निसंदेह सत्य प्रतीत होती है। धन्यवाद।
धन्यवाद गुरु जी सही है आपने उचित कहा