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काली कल्याणकारी!
सूर्यग्रहण को प्रायः अशुभता और हानि की दृष्टि से ही देखा जाता है जबकि यह शुभ और अशुभ दोनो तरह में से किसी एक या दोनों फलों को देने वाला हो सकता है। चलिए अब आपको वह विधि बता देते हैं जिससे कि आप सरल गणित के द्वारा जान जाएंगें कि ग्रहण किसके लिए शुभ और किसके लिए अशुभ प्रभाव देने वाला होगा-


होने वाला ग्रहण स्वस्थान (जहाँ ग्रहण दिखाई दे) के लिए सुफल देने वाला होगा या कुफल प्रदाता होगा इसको जानने के लिए सर्वप्रथम वर्तमान शक संवत के अंकों को 12 से गुणा कर दें और फिर इसमें, चल रहे शक मास के पहले तक के बीते शक मासों की संख्या को जोड़ दें, इस योगफल में 6 से भाग दे दें, अब ध्यान दें कि हमें भागफल नहीं बल्कि बचे हुए शेष को देखना है

1. यदि शेष कुछ न रहे अर्थात शून्य हो तो ग्रहण उस स्थान के लिए शुभ होगा, सभी के लिए कल्याणकारी होगा। अर्थात अति उत्तम
फल देने वाला ग्रहण होगा।

2. यदि शेष 1 आये तो ग्रहण सामान्यतः तो शुभ फल ही देने वाला होगा परन्तु वर्षा में कमी, सामान्य अन्न उत्पादन रहेगा और विद्वानों तथा बुद्धिजीवियों के लिए कष्टकारी होता है। अर्थात उत्तम फल देने वाला ग्रहण होगा।

3. यदि शेष 2 आये तो ऐसे में धनी लोगों की हानि लेकिन सामान्य लोगों का हित होता है। अर्थात मध्यम फल देने वाला ग्रहण होगा।

4. यदि शेष 3 आये तो ऐसे में राष्ट्रों के नेताओं के बीच संघर्ष या विरोध होता है, शीतकालीन फसलों का नुकसान होता है और संसार में किसी प्रकार कुशलता नहीं होती है। अर्थात अत्यन्त अशुभ फलकारी।

5. यदि शेष 4 आये तो राष्ट्र के प्रमुख के लिए , सेना के लिए अशुभकारी होता है परन्तु सामान्य नागरिकों का अहित नहीं होता है।

6. यदि शेष 5 आये तो ऐसे में फसलें अच्छी होती हैं, लोग निरोगी होते हैं, वर्षा सामान्य होती है।

7. अब थोड़ा ध्यान से पढ़ें कि यदि शेष 6 आये तो आपको उसे 6 से भाग नहीं देना है क्योंकि यदि आप 6 से 6 को भाग दे देंगे तो शेष शून्य आ जायेगा ऐसी स्थिति में यहाँ हमें 6 को ही अंतिम शेष मानना होगा और उसका परिणाम , अल्प वर्षा, अकाल, नागरिकों की मृत्यु आदि समझना चाहिए।
ऊपर बताए गए सभी फलों को स्थूल अर्थात मोटे स्तर पर समझना चाहिए, सूक्ष्म या स्पष्ट फलों के लिए नति-लंबन, अक्षांश, राशि, पात( राहु-केतु) आदि की गणनाएं करनी होती हैं।
उदाहरण-
आगामी 21 जून 2020 को वर्तमान शक संवत 1942 है और शक मास आषाढ़ है अतः शक वर्ष 1942 आरंभ से आषाढ़ मास आरंभ होने के मध्य 3 मास गत हो चुके हैं।
अब ऊपर बताई गई गणित के हिसाब से
1. वर्तमान संवत×12 =1942×12 = 23304 (गुणनफल)
2. गुणनफल+गत मास = 23304+3 = 23307 (योगफल)
3. योगफल/6 = 23307/6= 3884 लब्धि और शेष बचा 3
4. अब शेष 3 आने पर ऊपर बताए गए फलों को देखें तो पाएंगे कि 21 जून को होने वाला सूर्यग्रहण अशुभ फलकारी सिद्ध होगा।
सूर्यग्रहण के विशेष उपायों के लिए यहाँ क्लिक करें

शेष काली इच्छा!

~आचार्य तुषारापात
   (ज्योतिष डॉक्टर)

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