Select Page

jyotishdcotor

काली कल्याणकारी!
नागपंचमी पर धन-संपदा प्राप्ति और बड़े से बड़े ऋण की मुक्ति के लिए स्वयं बनाएं गोपनीय ‘नाग-नक्षत्र यंत्र’ और अपना कल्याण करें, साथ ही जाने नागपंचमी पर गुड़िया पीटने के चलन का सही कारण।
श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी, नागपंचमी तिथि के रूप में मनाई जाती है यह तिथि आध्यात्मिक शक्तियों की प्राप्ति हेतु तो अच्छी होती ही है बल्कि धन की वृद्धि के लिए भी बड़ी उत्तम मानी गई है। इस दिन किसी भी प्रकार का ऋण नहीं देना चाहिए बल्कि अपनी सामर्थ्यानुसार दान अवश्य करना चाहिए, जिनकी कुंडली में विषयोग, सर्पयोग, राहु केतु बुरे फल देने वाले हों, शनि चंद्र युति, विषकन्या योग, या जो सदैव ऋण में ही रहते हैं किसी भी तरह उनकी आय उनके व्यय से कम ही रहती है या जिन्हें सदैव आर्थिक संकट रहता हो, ऋण में डूबे हों, ऋण उतरता न हो, जो बुरे सपने देखते हों, भोजन या पेय पदार्थों के कारण बार बार बीमार पड़ जाते हों ऐसे सभी व्यक्तियों को इस तिथि पर दिव्यांगों, नेत्रहीनों और असहाय व्यक्तियों को यथा सामर्थ्य कुछ धन का दान अवश्य करना चाहिए, ऐसे लोग किसी गुरु तुल्य व्यक्ति जो सामाजिक हित का कार्य करता हो उसे भी धन अथवा श्रम दान करके अपने दुर्योगों को सदा के लिए काट सकते हैं। शेष इसके उपाय के लिए
नाग -नक्षत्र यंत्र आगे बताया है उस उपाय को करें।
नागपंचमी पर गुड़िया पीटने का क्या है सही कारण-
नागपंचमी तिथि पर कुछ स्थानों पर चौराहों पर कपड़े की बनी ढेर सारी गुड़ियों को लड़को द्वारा किसी लंबे डंडे या छड़ से पीटने का चलन दिखाई देता है। इसके लिए कई तरह की कहानियाँ भी प्रचलित हैं पर स्त्री को अपमानित करने वाली उन कहानियों की विवेचना करने में मैं अपना समय व्यर्थ नहीं करना चाहता क्योंकि भारतीय संस्कृति संसार की सबसे उदार संस्कृति है और इस संस्कृति में घर की स्त्रियों को चौराहे पर छड़ आदि से पीटने जैसी परम्पराओं का होना कोई स्थान नहीं रखता। लोग अज्ञानतावश इस तरह की मान्यता बना लेते हैं बल्कि सही कारण पूर्णतया वैज्ञानिक और व्यवहारिक है।
पंचमी तिथि को कोई भी ऐसा कार्य नहीं किया जाता है जिसमें किसी वस्तु को छिद्रित किया जाये या कोई भी ऐसा काम वर्जित होता है जिससे किसी वस्तु में कमी आये तथा यह तिथि अपनी किसी व्यर्थ की वस्तुओं आदि से कोई रचनात्मक कार्य करने की तिथि है जो वृद्धि को दर्शाती है इसी कारण से इस दिन घर की महिलाएं घर के पुराने कपड़ो को तरह तरह के आकार देकर एक सुंदर सी गुड़िया का रूप दे देतीं थीं और गुड़िया बनाने में सुई का प्रयोग करना या कपड़े को काटना पीटना वर्जित होता था ऐसा इस तिथि पे वर्जित किये गए कार्यों को जन मानस के अंतरमन में बिठाने के लिए किया जाता था। गुड़िया बनाने के लिए पुराने बेकार पड़े कई कपड़े लिए जाते थे उन्हीं कपड़ों को बिना काटे पीटे या सुई से सिले बगैर दूसरे कपड़ों से बाँध के एक गुड़िया का आकार देकर कन्या रूप में माँ लक्ष्मी रूपी वृद्धि को माना जाता था।
भारत में सर्प अत्यधिक हुआ करते थे और वर्षा ऋतु में साँप खुले में निकल आते थे क्योंकि उनके बिलों में पानी भर जाता था इसी कारण चौराहों पर जहाँ ज्यादा चहल पहल रहती थी लाठी डंडा आदि से सांकेतिक पीटने की परंपरा , उस समय साँपों आदि से बचने के लिए सदैव लाठी डंडा साथ में लेकर चलने के निर्देशों को याद रखने का प्रयत्न था, इसी कारण से कई क्षेत्रों में नागपंचमी शुक्ल पक्ष की पंचमी के स्थान पर सावन के कृष्ण पक्ष की पंचमी पर मनाए जाने की परंपरा रही है क्योंकि भौगोलिक भिन्नता होने के कारण वर्षा का समय थोड़ा अलग हुआ करता है। प्राचीन समय में पुरुष ही चौराहों आदि बाहर के स्थानों पर जाते थे और लाठी डंडा पुरुष ही चलाते रहे हैं तो वे ही ऐसा करते थे इस चलन में स्त्री-पुरुष का इतना ही भेद है।
ये दोनों बातें, गुड़िया बनाना और चौराहे पर लाठी पीटना कब और कैसे आपस में घुलमिल गईं ये कहना जरा मुश्किल है परन्तु ये दोनों बातें अलग अलग हुआ करतीं थीं, किंतु एक ही तिथि पर होतीं थीं तो कालांतर में ये संभवतः एक साथ हो गईं हों।


नागपंचमी के उपाय, नाग-नक्षत्र यंत्र निर्माण, पूजन व स्थापन विधि-

आप सभी को यह धनदायक, समृद्धि वृद्धि देने वाला और समस्त आर्थिक ऋणों और कुंडली के दोषों को हरने वाला गोपनीय नाग-नक्षत्र यंत्र बता रहा हूँ परन्तु किसी उपाय की प्राप्ति के उपरांत आभार न सही कम से कम माँ काली का जयकारा ही इस ब्लॉग के कमेंट सेक्शन में कर दिया करें जिससे हमें भी पता चलता है कि हमारा परिश्रम व्यर्थ नहीं जा रहा और आप भी निःशुल्क सेवा के ऋण से मुक्त रहते हैं।

सामग्री-
एक A4 साइज मोटा पेपर, उसी पेपर को बिछाने भर के साइज का नया लाल रंग का सूती या रेशमी कपड़ा,एक लोटा कच्चा दूध (200ml), थोड़ा चंदन पाउडर, रोली, सवा मीटर लाल धागा या कलावा।
निर्माण विधि-

सर्वप्रथम दिए गए गये यंत्र के चित्र को देखें
nag nakshtra yantra
इस यंत्र में वर्तमान ग्रह गोचर और नक्षत्रों को ध्यान में रखते हुये सर्पाकार में एक विशेष क्रम में नक्षत्रों की स्थापना की गई है। आप इसे स्वयं भी बना सकते हैं अथवा किसी मोटे चिकने A4 साइज पेपर पर इसका प्रिंटआउट भी निकलवा सकते हैं।
पूजन विधि-
1.कागज पर यह यंत्र बना लेने के बाद आपको 25 जुलाई 2020 को सूर्योदय से लेकर अगले तीन घंटे तक के मध्य किसी भी समय पर अथवा 25 जुलाई 2020 के सूर्यास्त से लेकर तीन घंटे तक के मध्य समय में आपको इसे जागृत करना है।
2. यह उपाय स्त्री पुरुष कोई भी कर सकते हैं बस यह ध्यान रखना है कि इस उपाय को करते समय आपको कोई भी ऐसा वस्त्र नहीं पहनना है जो कि सिला हुआ हो अर्थात जिसमें सुई का प्रयोग हुआ हो यह नियम अंत:वस्त्रों पर भी लागू है, महिलाएं साड़ी पहनकर और पुरुष धोती पहनकर इस उपाय को कर सकते हैं। यदि किसी अवस्था में यह संभव न हो सके तो कोई बात नहीं सामान्य वस्त्रों में इस ही इस पूजन को करें।
3. स्नान आदि के बाद पूजन स्थल पर एक सामान्य दीपक प्रज्ज्वलित करें और चंदन आदि की सुगंध करें।
4. अपने आसन पर बैठें और पूजन स्थल के दीपक और अपने आसन के मध्य अपने सामने एक लकड़ी की चौकी या पाटा आदि को रखें।
5. कच्चे दूध के छींटे उस लकड़ी के पाटे या चौकी पर सात बार दें।
6. छींटे देने के बाद लाल कपड़े को चौकी या पाटे पे बिछा दें, और उसके ऊपर थोड़ा सा चंदन का पाउडर छिड़क दें।
7. लाल कपड़े पे चन्दन का पाउडर छिड़कने के बाद कागज़ पर बने इस यंत्र को बिछा दें अब आप और आपके पूजन स्थल के दीपक के मध्य चौकी पे आपके सामने यह यंत्र स्थित होगा।
8. थोड़ा सा कच्चा दूध लेकर चौकी के चारों ओर घुमा दें और उसके बाद अपने कुलदेवता या कुलदेवी और सभी पितरों को ध्यान करते हुए 5 बार “नमः नमः” कहें।
9. इसके बाद भगवान शिव का ध्यान करें, 11 बार ॐ नमः शिवाय मन्त्र पढ़ें।
10. अब सूखी रोली लेकर यंत्र के सबसे ऊपर मध्य भाग में ( जहाँ उत्तरा फाल्गुनी लिखा है उसके ठीक ऊपर) तीन बार टीका लगाएं और ऐसे ही सबसे नीचे जहाँ पूर्वा फाल्गुनी लिखा है उसके ठीक नीचे तीन बार सूखी रोली का टिका लगा दें।
11. अब माँ काली का ध्यान करें और 11 बार “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै:” इस मंत्र को पढ़ें और उसके बाद यंत्र को प्रणाम करें।
12. अब यंत्र (कागज़) पर चंदन का पाउडर अच्छे से छिड़क के मल दें।
13. चन्दन पाउडर लगाने के बाद अब इस मंत्र “ॐ नागकुलाय विद्यमहे विष दंताय धीमहि तन्नो सर्प: प्रचोदयात” का 108 बार जप करें (माला रुद्राक्ष की होगी)।
14. जप पूरा हो जाने के बाद यंत्र को प्रणाम करें , भगवान शंकर और माँ काली को मानसिक प्रणाम करें।
15. यंत्र को लाल कपड़े समेत उठा के उसे तीन बार बराबर बराबर मोड़ लें ( जैसे कागज के पन्ने को पहले आधा मोड़ते हैं फिर उस आधे का आधा उसी तरह) और लाल धागे से धन ( + ) का निशान बनाते हुए बाँध दें।
16. अब इस यंत्र को अपने धन रखने के स्थान पर रख लें और आगामी वर्ष की नागपंचमी तक रखा रहने दें।
बचे हुए कच्चे दूध को अपने घर के गमलों में या कच्चे स्थान पर डाल दें। (तुलसी के पौधे को छोड़कर किसी भी गमले मे)
शेष काली इच्छा!
~आचार्य तुषारापात
(ज्योतिष डॉक्टर)
error: Dont copy! Share it!
%d bloggers like this: