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काली कल्याणकारी!
काली चतुर्दशी, नरक चतुर्दशी/ रूप चतुर्दशी, काली पूजा तथा दीपावली के शुभ मुहूर्त और सर्वश्रेष्ठ पूजन समय को जानिये। इन विशेष तिथियों में धन-संपदा- सिद्धि-प्रसिद्धि- प्रेम- सात्विक वशीकरण-भूत प्रेत बाधा आदि के विशेष उपाय कीजिये और माँ की कृपा के पात्र बनिये।

काली चौदस तथा हनुमान पूजन तिथि व समय-

 

जिन लोगों को बुरे सपने आते हैं, बात बात में डर लगता है, हमेशा कुछ बुरा घटित होने की आशंका बनी रहती है, अनजान सायों का दिखना या अनजानी फुसफुसाहट सुनाई देती है, कुंडली में चंद्र अथवा सूर्यग्रहण के समय का जन्म हो तथा ऊपरी बाधा भूत प्रेत आदि की बाधा हो तो वे आज 13 नवम्बर को काली चौदस और हनुमान पूजन के अवसर पर बताए जा रहे ये उपाय करें अवश्य लाभ होगा-

 

13 नवम्बर को चतुर्दशी तिथि साँय 5:59 से आरम्भ होकर 14 नवम्बर की दोपहर लगभग 2:18 तक रहेगी। अतः 13 की मध्य रात्रि में चतुर्दशी तिथि मिलने से 13 नवम्बर की रात्रि काली चौदस होगी। इसे नर्क चतुर्दशी अथवा रूप चतुर्दशी से अलग तिथि जानना चाहिए, काली चौदस उदया नर्क चतुर्दशी से पूर्व मध्यरात्रि व्यापिनी चतुर्दशी तिथि निशीथ काल में लगने से निर्धारित होती है। साथ ही इसे कार्तिक अमावस्या पर होने वाली बंगाल की काली पूजा से भी अलग समझना चाहिए माँ काली की सबसे बड़ी पूजा दीपावली की मध्य रात्रि को होती है वह पूजा इस पूजा से भिन्न होती है।

 

अतः काली चौदस और हनुमान पूजन के लिए शुभ समय 13 नवम्बर की मध्यरात्रि 11:26 (23:26) से मध्यरात्रि 12:17 (00:17) तक का है।

 

● ऊपर बताए गए लक्षणों वाले व्यक्ति या उसके लिए किसी अन्य व्यक्ति द्वारा किये जाने वाला नीचे बताया गया उपाय इसी समय के मध्य में पूर्ण करना है।

 

● उपाय में आपको अपने पूजन स्थल पर एक घी/तेल का दीपक (खड़ी जोत का) प्रज्ज्वलित करना है चंदन की सुगंध आदि करनी है। याद रखें किसी भी चित्र अथवा मूर्ति की पूजा आपको नहीं करनी है।

 

●उसके बाद आपको अपने मस्तक पर दोनों भौओ के मध्य रोली से तिलक लगाना है।

 

● उसके बाद अपने पूजन स्थल पर किसी कटोरी आदि में सात जोड़ी अर्थात 14 लौंग और एक कपूर का थोड़ा बड़ा टुकड़ा रखना है।

 

● उसके बाद माँ काली का ध्यान कर एकमाला (108 बार) यह मंत्र जपें-
ॐ क्रीं कालिकायै नमः

 

●यह मंत्र जप पूर्ण होने के पश्चात माँ काली को प्रणाम करें और उनसे अपने कष्ट दूर करने के अथवा जिसके लिए आप पूजन कर रहे हैं उसके कष्ट दूर करने की प्रार्थना करें। उसके बाद हनुमान जी का ध्यान कर एकमाला यह मंत्र जपें-
ॐ हं हनुमंताय नमः

 

● मंत्र पूर्ण हो जाने के बाद भगवान हनुमान को प्रणाम कर अपनी अथवा उपाय जिसके लिए किया जा रहा है उसकी रक्षा स्वास्थ्य आदि की प्रार्थना करें और कटोरी में लौंग और कपूर जला दें। उपाय यहीं पूर्ण होता है माँ चाहेंगी तो समस्त प्रकार की ऊपरी बाधाएं भय आदि एक क्षण में समाप्त हो जाएंगें।

 

नरक चतुर्दशी पूजन समय व शुभ मुहूर्त-

 

नरक चतुर्दशी पर यदि चंद्रोदय के पश्चात और सूर्योदय से पूर्व स्नान किया जाए तो मान्यता है कि ऐसा व्यक्ति नर्क नहीं जाता है तात्पर्य यह है कि इस तिथि पर शुभ समय पर चंद्र की अल्प किरणों में स्नान करने से शरीर की और मन की शुद्धि होती है।
कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी तिथि 13 नवम्बर को साँय 5:59 से आरम्भ होकर 14 नवम्बर अपराह्न 2:18 तक रहेगी अतः नरक चतुर्दशी के स्नान दान आदि का शुभ समय 14 नवम्बर की सुबह 05:07 से लेकर प्रातः 06:25 तक है। इस अंतराल में नरक चतुर्दशी का स्नान करें स्वास्थ्य लाभ होगा।

 

दीपावली का समय, शुभ मुहूर्त व विशेष उपाय-

 

कार्तिक अमावस्या तिथि का आरम्भ 14 नवम्बर को अपराह्न 2 बजकर 18 मिनट से होगा और यह तिथि अमावस्या 15 नवम्बर 2020 के पूर्वाह्न 10 बजकर 37 मिनट तक रहेगी। चूँकि दीपावली अमावस्या तिथि,प्रदोष काल और सूर्यास्त के बाद अमावस्या की रात्रि के संयोग में मनाई जाती है अतः इस वर्ष दीपावली 14 नवम्बर 2020 को है।

 

गृहस्थों के लिए दीपावली पूजन का सर्वश्रेष्ठ समय प्रदोषकाल मुहूर्त में अर्थात 14 नवम्बर 2020 को साँय 05:18 से साँय 07:14 के मध्य है।

 

व्यापारियों के लिए सिंह लग्नक महानिशीथकाल मुहूर्त में दीपावली के पूजन का सर्वश्रेष्ठ समय 14 नवम्बर की रात्रि 11:46 से लेकर रात्रि के 12:18 तक है। रात्रि के 11:28 से रात्रि के 2 बजकर 3 मिनट तक का समय भी उत्तम है।

 

दीपावली का पूजन अपने कुल की परंपरा अनुसार करना चाहिए तथा इन पांच दिनों अर्थात धनतेरस से भैयादूज तक रात्रि में अधिक बाहर नहीं रहना चाहिए क्यूंकी इस समय प्रकृति में नकारात्मक ऊर्जा का आवेग अधिक होता है इसीलिए इन दिनों सजगता बरतने और रात्रि जागरण की परंपरा बनाई गई है जिसका स्थान जुएं या पार्टियों आदि ने ले लिया है आप प्रयास करें कि आप अपने परिवार के साथ अपने घर में रहें।

 

दीपावली का विशेष उपाय-

 

यह उपाय वे सभी व्यक्ति करें जो धन-संपत्ति उन्नति, वाहन-गृह, कर्ज़ मुक्ति तथा सभी प्रकार के भौतिक सुखों और वैभव आदि की कामना रखते हैं तथा प्रेम विवाह या किसी को अपना बनाना चाहते हैं अथवा स्वयं में आकर्षण व सम्मोहन लाना चाहते हैं। कुंडली में कमजोर चंद्र और शुक्र वालों के लिए यह उपाय एक वरदान है अतः इसे सभी करें इस उपाय से आपके यहाँ चंचला लक्ष्मी स्थिर रहेंगीं और आपके व्यक्तित्व में चुम्बकीय शक्ति और वाणी में तेज और उत्तम स्वास्थ्य अवश्य ही आएगा। स्त्री पुरुष कोई भी इस उपाय को कर सकता है एक घर से जितने सदस्य चाहें उतने सदस्य इस उपाय को अलग अलग कर सकते हैं।

 

समस्त मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला यह विशिष्ट उपाय आप ऊपर बताए गए प्रदोषकाल अथवा निशीथकाल दोनों में से किसी भी एक समय पर कर सकते हैं किंतु यदि निशीथकाल में इसे करें तो सर्वोत्तम।

 

सामग्री- रुमाल के आकार का लाल सूती या रेशमी कपड़ा, मिट्टी की एक गुल्लक, 11 सिक्के (एक या दो रुपये के सामान्य सिक्के) एक नया आईना (शीशा) 11 तुलसी के पत्ते।

 

●सर्वप्रथम अपने पूजन स्थल पर एक लकड़ी की चौकी या पाटे पर लाल कपड़े को बिछाएं उसके बाद उस पाटे या चौकी पर आईना ऐसे स्थापित करें कि जब आप अपने आसन पर चौकी पर रखे आईने के सामने बैठें तो आपको अपना प्रतिबिम्ब उसमें दिखाई दे। (दर्पण को किसी दीवार आदि से टेक देकर रखें।)

 

● उसके बाद उस आईने के आगे चौकी के बीचोबीच मिट्टी की छोटी गुल्लक को रखें (गुल्लक को रोली अथवा लाल सिंदूर से गीलाकरके पूरा रंग के रखें और लाल कपड़ा इतना बड़ा लें कि बाद में यह गुल्लक उस लाल कपड़े से पूरी तरह बंध जाए और एक पोटली बन सके)

 

● उसके बाद उस गुल्लक के आगे अपनी ओर किंतु चौकी के ऊपर ही एक देशी घी का खड़ी जोत का बड़ा दीपक प्रज्ज्वलित करें , दीपक यदि पूरी रात्रि प्रकाशित रह सके तो सर्वोत्तम अन्यथा उपाय आरम्भ से लेकर कम से कम दो घण्टे तो अवश्य ही प्रकाशित रहे। दीपक पीतल अथवा किसी धातु का हो तो सर्वोत्तम अन्यथा मिट्टी का हो।

 

● दीपक प्रज्ज्वलित कर दीपक को रोली से तिलक लगाएं और उसके बाद अपने मस्तक पर रोली का तिलक लगा लें। (दीपक दर्पण से इतनी दूर अवश्य रखें कि उसकी आँच दर्पण पर कोई प्रभाव न डाल सके।)

 

● अब अपने बाएं हाथ में 11 सिक्के और 11 तुलसी के पत्ते ले लें और दाहिने हाथ में जपमाला ले लें माला कमलगट्टे की हो तो सर्वोत्तम अन्यथा कोई भी जपमाला लें किंतु यह ध्यान रखें कि माला नई हो।

 

● अब सर्वप्रथम भगवान गणेश का ध्यान कर अपने इस जप की सफलता की उनसे प्रार्थना करें। उसके बाद माँ लक्ष्मी का मन में ध्यान कर यह मंत्र जपें।

 

● अब 11 माला (108×11) इस मंत्र को आपको जपना है यह सिद्ध मंत्र आपको दे रहा हूँ मन्त्र छोटा है किंतु सिद्ध है अतः इसे पूरी श्रद्धा से जपें लाभ अवश्य ही होगा।
ॐ श्रीं नमः


जप करते समय आपको सामने रखे दर्पण में अपना प्रतिबिम्ब देखना है उससे आँखें नहीं हटानी हैं। यदि आपका प्रतिबिम्ब दीपक और गुल्लक के अवरोध के कारण स्पष्ट न दिखाई दे तो परेशान न हों जैसा भी प्रतिबिम्ब दिखे आपको अपने प्रतिबिम्ब पर जप करते समय अपनी नज़रें रखनी हैं। कमरे में दीपक की रोशनी ही रहे अन्य कोई बल्ब ट्यूबलाइट आदि प्रकाशित न हो इसका भी ध्यान रखें।

 

● अब ध्यान से पढ़ें प्रत्येक एक माला जप होने पर आपको गुल्लक में एक सिक्का और एक तुलसी का पत्ता अपने बाएं हाथ से डाल देना है। अर्थात ॐ श्रीं नमः का एकमाला अर्थात 108 बार जप होने पर एक सिक्का और एक तुलसी का पत्ता गुल्लक में डालना है और अगली माला का जप सिक्का और तुलसी पत्र डालते ही आरम्भ कर देना है, इस तरह 11 माला का जप पूर्ण होते होते गुल्लक में आपके बाएं हाथ के सारे अर्थात 11 सिक्के और 11 तुलसी पत्र गुल्लक में जा चुके होंगें। तुलसी पत्र और सिक्के डालने के लिए आपको अपना बायाँ हाथ ही प्रयोग करना है अतः गुल्लक ऐसी लें जिसमें सिक्के डालने का स्थान चौड़ा और बड़ा हो जिससे आपको कठिनाई न आये।

 

● जप पूर्ण होने के बाद माँ लक्ष्मी और भगवान गणेश से प्रार्थना करें और क्षमा याचना करें और अपने आसन से उठ जाएं और अपना आसन भी हटा दें, किंतु दीपक लाल कपड़ा और गुल्लक वैसी ही अपने स्थान पर रखी रहने दें।

 

●16 नवम्बर को दोपहर में 12 बजे से लेकर 3 बजे के मध्य सर्वप्रथम दीपक को चौकी से विस्थापित करें उसके पश्चात लाल कपड़े से दर्पण हटाएं और उसके बाद लाल कपड़े से गुल्लक को अच्छी तरह बाँध के अपने धन रखने के स्थान (लॉकर/अलमारी) में रख दें, दर्पण अपने पास रखें और जब भी किसी विशेष कार्य जैसे इंटरव्यू, प्रेजेंटेशन या किसी नये कार्य के आरंभ को जाना हो तो इस दर्पण में स्वयं को देखकर जाएं। दर्पण यदि कुछ समय बाद टूट जाये तो चिंता न करें। कोई बड़ी विपदा कट गई ऐसा जानें।

 

काली पूजा- दीपावली पर माँ काली की विशेष पूजा का चलन बंगाल में है परम आदरणीय माँ काली के उपासक साधक गुरुवर रामकृष्ण परमहँस को अपने अंतर में बिठा के दीपावली की रात्रि को माँ की साधना में लीन रहूँगा, आप में से जो इस पूजन में मानसिक उपस्थिति लगाना चाहें तो वेबसाइट के माँ के दरबार में अपनी प्रार्थना लगा सकते हैं।
http://jyotishdoctor.com/kali-kalyankari/
अन्य लोग यदि दीपावली की रात्रि माँ काली की साधना करना चाहते हैं तो बिना किसी गुरु अथवा सिद्ध साधक के दिशानिर्देशों के दीपावली पर काली साधना कदापि न करें।

 

यह उपाय आप सभी के लिए अवश्य उपयोगी होगा इसी के साथ दीपोत्सव की अनेक शुभकामनाएं! माँ की कृपा बरस रही है!
शेष काली इच्छा!
आचार्य तुषारापात
(ज्योतिष डॉक्टर)
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