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काली कल्याणकारी!
मकर संक्रांति 14 जनवरी को है अथवा 15 जनवरी को? इसको लेकर भ्रम इसलिए अधिक है क्योंकि पिछले वर्ष 2020 में मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनायी गयी थी अतः यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि इस वर्ष 2021 में मकर संक्रांति 14 या 15 जनवरी में से किस तिथि पर है और इसी के साथ यह भी प्रश्न उठता है कि जब मकर संक्रांति सूर्य कैलेंडर पर आधारित है तो ऐसा क्यों होता है कि मकर संक्रांति की तिथि तथा समय में परिवर्तन हो जाता है। आगे हमारे लेख में इन सभी प्रश्नों के उत्तर के साथ जानिए मकर संक्रांति का समय, पुण्यकाल महापुण्यकाल और मकर संक्रांति के सूर्य राशि के अनुसार विशेष उपाय और कर्म।

मकर संक्रांति का अर्थ तथा मकर संक्रांति का महत्त्व-
संक्रांति का सामान्य अर्थ है सूर्य का किसी राशि में प्रवेश करना और चूँकि मकर राशि में सूर्य के प्रवेश करते ही उत्तरायण आरम्भ हो जाता है इसलिए मकर संक्रांति का विशेष महत्त्व है। इस संसार की समस्त ऊर्जा सौर ऊर्जा के ही विविध रूप हैं अतः उत्तरायण में सूर्य पृथ्वी के उत्तर गोल में स्थित हम भारतवासियों के समीप आने लगता है और यह सौर ऊर्जा हमें अधिक मात्रा में प्राप्त होने लगती है इसीलिए मकर संक्रांति महत्त्वपूर्ण है।
वास्तविक मकर संक्रांति-
वास्तविक मकर संक्रांति 21/22 दिसम्बर को होती है उसके बाद से ही दिन की अवधि बढ़ने लगती है किन्तु भारतीय पंचांग निरयण पद्धति पर आधारित है अतः प्राचीन काल में अंतरिक्ष में जहाँ मकर राशि हुआ करती थी वहीं पर सूर्य के प्रवेश करने से मकर संक्रांति मनाने की हमारे यहाँ परम्परा है।
पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है किंतु पूरा राशि चक्र भी आकाशगंगा के केंद्र की परिक्रमा करता है अतः राशि चक्र भी गतिमान है यही कारण है कि सिद्धान्त ज्योतिष में अयन बिंदु के सिद्धांत का अविष्कार हुआ और ज्योतिष में सायन और निरायन पद्धति दोनों स्थापित हुईं, पाश्चात्य ज्योतिष सायन सूर्य पर आधारित है और भारतीय ज्योतिष सामान्य तौर पर निरायन पद्धति पर आधारित है किंतु अलग अलग प्रान्तों में इसके अपवाद भी हैं।
मकर संक्रांति की तिथि तथा समय में बदलाव का कारण-
मकर संक्रांति से तात्पर्य है कि सूर्य का मकर राशि में प्रवेश। चूँकि अंग्रेजी कैलेंडर, सूर्य की पृथ्वी द्वारा की गई एक परिक्रमा पर आधारित है इसलिए इसमें 365 दिन होते हैं किंतु पृथ्वी सूर्य का एक चक्कर 365 दिन और लगभग 6 घंटे में लगाती है ये बचे हुए 6 घंटे चार सालों में एक दिन बन जाते हैं जिसका समायोजन अधिवर्ष या लीप ईयर के रूप में कर दिया जाता है। इसी कारण प्रतिवर्ष होने वाली मकर संक्रांति के समय में 6-6 घंटे का विलंब होता है जैसे कि इस वर्ष 2021 में यह संक्रांति 14 जनवरी को सुबह के लगभग 8 बजकर 30 मिनट पर होगी जबकि अगले वर्ष 2022 में यह संक्रांति 14 जनवरी को दोपहर के लगभग 2 बजकर 40 मिनट पर होगी।
अब संक्षेप में मकर संक्रांति के तिथि बदलने के कारण को समझ लेते हैं।
मकर संक्रांति की तिथि लगभग हर 72 साल में एक दिन आगे बढ़ जाती है 12 जनवरी सन 1863 में जब स्वामी विवेकानंद का जन्म हुआ था तब उस दिन मकर संक्रांति थी कहने का मतलब है तबसे अबतक 158 सालों में यह संक्रांति 12 जनवरी से 14 जनवरी को पड़ने लगी है और आगे सन 2078 में पूरी तरह से 15 जनवरी को ही मकर संक्रांति हुआ करेगी। इसका कारण जैसा कि ऊपर वास्तविक मकर संक्रांति में हमने बताया था वो ये है कि राशि चक्र गतिमान है और अयन बिंदु अपने स्थान से अति अलप किन्तु भ्रमण करता रहता है तो राशिचक्र और सूर्य और पृथ्वी की स्थिति में बदलाव के कारण प्रतिवर्ष यह समय अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार आगे बढ़ता जाता है इसीकारण संक्रांति की तिथि (अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार) आगे बढ़ जाती है।
2020 में 15 जनवरी को किन्तु 2021 में मकर संक्रांति 14 जनवरी को क्यों पड़ रही है?
इस अंतिम किन्तु सबसे अधिक कौतूहल उठाने वाली शंका का उत्तर बहुत ही सामान्य है इसका कारण जैसा कि ऊपर बताया था कि अंग्रेजी कैलेंडर में हर चौथे वर्ष फरवरी में एक दिन और जोड़कर उस साल में 366 दिन कर दिए जाते हैं अब पृथ्वी तो सूर्य की परिक्रमा 365 दिन और लगभग 6 घंटे में ही करती है तो इस बढ़े हुए एक दिन के कारण हर अधिवर्ष (लीप इयर) के बाद वाले वर्ष में मकर संक्रांति के समय में लगभग 18 घण्टे का समय कम हो जाता है चूँकि सन 2020 एक अधिवर्ष था इसलिए सन 2021 की यह मकर संक्रांति 14 जनवरी को पड़ रही है।
मकर संक्रांति समय, पुण्यकाल और महापुण्यकाल का समय-
इस वर्ष मकर संक्रांति 14 जनवरी को प्रातः लगभग 8 बजकर 30 मिनट पर होगी।
पुण्यकाल प्रातः 8 बजकर 30 मिनट से सांय 5 बजकर 33 मिनट तक रहेगा इसकी अवधि 9 घंटे 3 मिनट की रहेगी।
महापुण्यकाल प्रातः 8 बजकर 30 मिनट से लेकर पूर्वाह्न के 10 बजकर 15 मिनट तक रहेगा। इसकी अवधि 1 घंटा 45 मिनट होगी। स्नान दान पूजन आदि के लिए यह समय सर्वोत्तम है।

सूर्य राशि अनुसार मकर संक्रांति के उपाय-
आगे जो उपाय आपको बताये जा रहे हैं वह बहुत ही सरल हैं किंतु इस पुण्य दिवस पर इन्हें करने से आपको सहस्त्र यज्ञ करने के समान लाभ प्राप्त होगा। सभी उपाय आप महापुण्यकाल के दौरान करें तो सर्वोत्तम रहेगा शेष ऊपर बताये गए पुण्यकाल में उत्तम फल देने वाला रहेगा।
घर का हर सदस्य अपनी अपनी राशि अनुसार यह उपाय अपने लिए करे, यदि कोई किसी कारणवश स्वयं के लिए यह उपाय करने में सक्षम नहीं है तो उसके माता-पिता, पत्नी-पति या बच्चे उसके लिए उपाय कर सकते हैं। बस यह ध्यान रखें कि उसकी सूर्य राशि अनुसार जो निर्देश दिए गए हैं उसी अनुसार उपाय करें न कि अपनी सूर्य राशि अनुसार। अपने घर अथवा कुल की परंपरा अनुसार जो भी पूजन- सेवन या दान का विधान आप पालन करते हैं वो अवश्य ही करें। नीचे बताये गए उपाय आप अलग से निसंकोच कर सकते हैं।
उपायों के लिए ये देखें कि आपकी कुंडली में सूर्य कहाँ किस राशि में स्थित है अर्थात जब हम कहेंगें की कन्या राशि वाले अमुक उपाय करें तो इसका तात्पर्य होगा कि आपकी कुंडली में सूर्य, कन्या राशि में स्थित है यदि आपको कुंडली से अपनी सूर्य राशि नहीं पता है तो मोटे तौर पर आप 14 अप्रैल से 30 -30 दिन जोड़ते जाएं और मेष राशि से आगे एक एक राशि मानते जाएं जैसे कि 14 अप्रैल से 14 मई तक कभी भी जन्म लेने वालों की सूर्य राशि मेष हो सकती है।
1. मकर राशि के उपाय-
जिनकी जन्मकुंडली में सूर्य मकर राशि में स्थित है ऐसे सभी जातक (स्त्री-पुरुष-बच्चे-वृद्ध) 14 जनवरी को ऊपर बताये गए महापुण्यकाल अथवा पुण्यकाल के दौरान स्नान आदि करके अपने घर से दूर किसी कच्चे स्थान में अपने दाहिने हाथ की मध्यमा उँगली ( सबसे बड़ी उंगली) के बराबर की गहराई में लोहे का कोई एक टुकड़ा ( कील आदि) दबा आएं। ध्यान दें कि कच्चा स्थान निर्जन हो तथा वह स्थान किसी रास्ते अथवा मार्ग का न हो।
 
2. धनु राशि के उपाय-
जिनकी जन्मकुंडली में सूर्य धनु राशि में स्थित है ऐसे सभी जातक (स्त्री-पुरुष-बच्चे-वृद्ध) 14 जनवरी को ऊपर बताये गए महापुण्यकाल अथवा पुण्यकाल के दौरान स्नान आदि करके अपने दाहिने हाथ की मध्यमा उँगली में हल्दी से पीले किये गए धागे की अँगूठी सी बना के पहन लें और 15 जनवरी को सूर्योदय के बाद और मध्याह्न से पहले उस धागे की अँगूठी को उतारकर किसी भी पेड़ के पास छोड़ आएं। (शमी वृक्ष हो तो सर्वोत्तम)

3. कुम्भ राशि के उपाय-
जिनकी जन्मकुंडली में सूर्य कुम्भ राशि में स्थित है ऐसे सभी जातक (स्त्री-पुरुष-बच्चे-वृद्ध) 14 जनवरी को ऊपर बताये गए महापुण्यकाल अथवा पुण्यकाल के दौरान स्नान आदि करके अपने दाहिने हाथ की मध्यमा उँगली ( सबसे बड़ी उंगली) के सबसे निचले पोर पर किसी नीली स्याही के कलम से ‘ऐं’ लिख लें और ध्यान रखें कि कम से कम 2 घटी अर्थात 48 मिनट वह मिटे नहीं । उसके बाद अपने आप मिट जाए तो भी कोई बात नहीं बस आपको स्वयं से उसे नहीं मिटाना है।

4. वृश्चिक राशि के उपाय-
जिनकी जन्मकुंडली में सूर्य वृश्चिक राशि में स्थित है ऐसे सभी जातक (स्त्री-पुरुष-बच्चे-वृद्ध) 14 जनवरी को ऊपर बताये गए महापुण्यकाल अथवा पुण्यकाल के दौरान स्नान आदि करके अपने दाहिने हाथ की मध्यमा उँगली ( सबसे बड़ी उंगली) पर एक समूची लाल मिर्च रखकर 11 बार यह मंत्र जपें ‘सुरसिंहाय नमः’ और उसके बाद उस लाल मिर्च को जला दें और उसकी राख किसी भी बहते हुए जल ( नाली आदि) में बहा दें।

5. मीन राशि के उपाय-
जिनकी जन्मकुंडली में सूर्य मीन राशि में स्थित है ऐसे सभी जातक (स्त्री-पुरुष-बच्चे-वृद्ध) 14 जनवरी को ऊपर बताये गए महापुण्यकाल अथवा पुण्यकाल के दौरान स्नान आदि करके अपने दाहिने हाथ की मध्यमा उँगली ( सबसे बड़ी उंगली) के ऊपर अपने दाहिने हाथ की तर्जनी अंगुली को रख लेंगें और मन में यह मंत्र 11 बार जपेंगें ‘ऊं कृष्णांगाय विद्महे रविपुत्राय धीमहि तन्न: सौरि: प्रचोदयात’। इस मंत्र को जपने के बाद अपने मन में एक बार यह प्रण कर लें कि जीवन में किसी भी अवसर पर आवश्यकता से अधिक नहीं बोलना है।

6. तुला राशि के उपाय-
जिनकी जन्मकुंडली में सूर्य तुला राशि में स्थित है ऐसे सभी जातक (स्त्री-पुरुष-बच्चे-वृद्ध) 14 जनवरी को ऊपर बताये गए महापुण्यकाल अथवा पुण्यकाल के दौरान स्नान आदि करके मिट्टी के एक ऐसे बर्तन में काले तिल भरेंगें जिसकी गहराई कम से कम उनके दाहिने हाथ की मध्यमा उँगली ( सबसे बड़ी उँगली) के बराबर या उससे अधिक होगी। इस तिल से भरे बर्तन को सवा सौ ग्राम गुड़ के साथ किसी को दान करना होगा।

7. कन्या राशि के उपाय-
जिनकी जन्मकुंडली में सूर्य कन्या राशि में स्थित है ऐसे सभी जातक (स्त्री-पुरुष-बच्चे-वृद्ध) 14 जनवरी को ऊपर बताये गए महापुण्यकाल अथवा पुण्यकाल के दौरान स्नान आदि करके किसी 12 वर्ष से कम आयु की निर्धन बालिका को कुछ कॉपियाँ तथा एक कलम (पेन) दान करें। यदि दान उस तिथि पर न हो पाए तो सामान खरीद के संकल्प ले लें कि अमुक दिन पर यह कॉपी कलम किसी बालिका को दे दूँगा/ दूँगी। संकल्प का समय व तिथि ऊपर बताये अनुसार रहेगी।

8. मेष राशि के उपाय-
जिनकी जन्मकुंडली में सूर्य मेष राशि में स्थित है ऐसे सभी जातक (स्त्री-पुरुष-बच्चे-वृद्ध) 14 जनवरी को ऊपर बताये गए महापुण्यकाल अथवा पुण्यकाल के दौरान स्नान आदि करके अपने दाहिने हाथ की पूरी मध्यमा उँगली ( सबसे बड़ी उंगली) पर लाल सिंदूर अथवा रोली लगा लें और यह मंत्र 11 बार जपें ‘मारकाय नमः’। मन्त्र जपने के बाद उँगली को धो लें।

9. वृष राशि के उपाय –
जिनकी जन्मकुंडली में सूर्य वृष राशि में स्थित है ऐसे सभी जातक (स्त्री-पुरुष-बच्चे-वृद्ध) 14 जनवरी को ऊपर बताये गए महापुण्यकाल अथवा पुण्यकाल के दौरान स्नान आदि करके मिट्टी के एक ऐसे बर्तन में कच्चे चावल भरेंगें जिसकी गहराई कम से कम उनके दाहिने हाथ की मध्यमा उँगली ( सबसे बड़ी उँगली) के बराबर या उससे अधिक होगी। इस चावल से भरे बर्तन को घर से बाहर किसी ऐसी जगह रख दें जहाँ कोई पशु पक्षी इसका सेवन कर सके।

10. मिथुन राशि के उपाय-
जिनकी जन्मकुंडली में सूर्य मिथुन राशि में स्थित है ऐसे सभी जातक (स्त्री-पुरुष-बच्चे-वृद्ध) 14 जनवरी को ऊपर बताये गए महापुण्यकाल अथवा पुण्यकाल के दौरान स्नान आदि करके सवा किलो
कोई भी हरी सब्जी किसी असहाय या निर्धन को दान करें।

11. कर्क राशि के उपाय-
जिनकी जन्मकुंडली में सूर्य कर्क राशि में स्थित है ऐसे सभी जातक (स्त्री-पुरुष-बच्चे-वृद्ध) 14 जनवरी को ऊपर बताये गए महापुण्यकाल अथवा पुण्यकाल के दौरान स्नान आदि करके सवा किलो कोई भी सफेद मिठाई किसी मंदिर के बाहर बैठी किसी एक महिला को दान करें।

12. सिंह राशि के उपाय-
जिनकी जन्मकुंडली में सूर्य सिंह राशि में स्थित है ऐसे सभी जातक (स्त्री-पुरुष-बच्चे-वृद्ध) 14 जनवरी को ऊपर बताये गए महापुण्यकाल अथवा पुण्यकाल के दौरान स्नान आदि करके सवा किलो आटा और ढाई सौ ग्राम गुड़ किसी वृद्ध पुरूष को अवश्य ही दान करें।
सभी के लिए विशेष उपाय-
मकर संक्रांति अर्थात 14 जनवरी पर चाहे आपकी राशि कोई भी हो, यदि आप उगते सूर्य को जल देते हैं और अपनी कोई एक मनोकामना सूर्यदेव से कहते हैं तो आने वाली वासंतिक नवरात्रि तक आपकी वह मनोकामना अवश्य ही पूर्ण हो जाएगी।

शेष काली इच्छा!

आचार्य तुषारापात
(ज्योतिष डॉक्टर
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