श्रावण अमावस्या पर पितृदोष के उपाय
by admin | Aug 6, 2021 | astrology |
काली कल्याणकारी!
श्रावण अमावस्या (8 अगस्त 2021) पर करें पितृदोष का यह अचूक उपाय-
पितृदोष क्या है?
शास्त्रों के अनुसार हमारे पूर्वज, खानदान या परिवार के सदस्य मत्यु उपरांत पितृ कहलाते हैं और ये पितृ कालांतर में या तो मोक्ष प्राप्त करते हैं या इनका पुनर्जन्म हो जाता है किंतु कुछ पितृ न तो मोक्ष गति को प्राप्त होते हैं और न ही उनका पुनर्जन्म हो पाता है वे चंद्रमा के पृष्ठभाग पर अतृप्त अवस्था में फँस जाते हैं और अपनी मुक्ति के लिये अपने परिवार जनों को कष्ट देने लगते हैं ताकि वे पूजन-तर्पण आदि के द्वारा उन्हें उतनी ऊर्जा प्रदान करें कि आगे उनकी गति हो सके।
ज्योतिष में पितृदोष किसे कहते हैं?
वैदिक ज्योतिष शास्त्र में पितृदोष संज्ञा का अभाव दिखता है किंतु ज्योतिष यह अवश्य मानता है कि प्रत्येक मनुष्य को अपने प्रारब्ध के अनुसार वर्तमान तथा भविष्य के जन्मों में फल भुगतने ही होते हैं तथा जिस तरह व्यक्ति के पूर्वजों से उन्हें संपत्ति तथा परिवार की गौरवशाली परम्परा आदि का अधिकार प्राप्त होता है उसी तरह अपने पूर्वजों के अच्छे या बुरे कर्मों का फल भी आंशिक अथवा पूर्ण रूप से वर्तमान के परिवार जनों को मिलता है पूर्वजों के कर्मो के इन बुरे फलों को ही वर्तमान ज्योतिष में पितृदोष कह दिया जाता है।
वास्तव में किसी जातक की कुंडली में यदि लग्न, पंचम और नवम भाव पर पाप ग्रहों की स्थिति या दृष्टि हो अथवा इन स्थानों के स्वामी पापग्रहों से ग्रसित हों तो पितृदोष होता है। इसी तरह कुंडली में सूर्य, चंद्र तथा गुरु भी यदि पाप ग्रहों से दीक्षित अथवा युति में हो तो भी इसे पितृदोष माना जाता है।
कैसे पहचाने कि कुंडली में पितृदोष है?
यह दोष व्यक्ति के जन्म के पूर्व ही निश्चित हो जाता है इसी कारण यह अत्यंत कष्ट देता है क्योंकि जन्म के बाद आपके किसी पापकर्म से हुई पीड़ा का निदान तो शीघ्र मिल सकता है किंतु जन्म से पहले ही पितरों के कर्मों के फलों से जातक पीड़ित हो तो इस जटिल समस्या का निदान आसान नहीं होता इसके लंबे समय तक उपाय तथा कुशल ज्योतिषी का मार्गदर्शन समय समय पर आवश्यक हो जाता है।
पितृदोष के कुछ सामान्य लक्षण-
1. परिवार में अल्पायु सदस्यों का होना अर्थात अकाल मृत्यु का बारंबार होना।
2. बीमारी और दरिद्रता का कारण न पता चलना और इन समस्याओं से कभी न उबर पाना।
3. गर्भ न ठहरना या बार बार गर्भपात हो जाना, संतान बाधा होना या अपंग संतान का होना।
4. विवाह न होना, पिता पुत्र में मारपीट होते रहना, बुजुर्गों से श्राप मिलना ।
5. नशे की आदतों में पड़ जाना और बुरी आदतों से जीवन नर्क बना लेना।
6. स्वप्न में साँप दिखाई देना। पास का धन, सम्पति सबका का लोप होते जाना।
7. परिवार के मृत व्यक्तियों का स्वप्न में आकर भोजन माँगना, डराना या अजीब से स्वप्न आना।
8. आजीविका के सारे साधन होते हुये भी आमदनी न होना, कर्ज़ बढ़ते जाना।
9. घर के बुजुर्गों के बाल सफेद होने के बाद पीले पड़ने लगना। हर धार्मिक कार्य में बाधा पड़ जाना, किसी नई वस्तु या वस्त्र आदि में कुछ खरोचें शीघ्र ही लग जाना।
10. परिवार तथा खानदान में सिर्फ कन्या का ही जन्म होना पुत्र का जन्म ही न होना।
सभी राशियों के व्यक्ति 8 अगस्त श्रावण अमावस्या के दिन सूर्योदय से लेकर साँय 7 बजे के मध्य कभी भी नीचे बताये उपाय कर सकते हैं।
राशि अनुसार पितृदोष के सरल किन्तु अचूक उपायों के लिये कृपया अपनी राशि के उपाय पर क्लिक/अँगूठा करें-
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