।। काली कल्याणकारी ।।
ज्योतिष डॉक्टर
अब दुःखों पर होगा ‘तुषारापात’
आचार्य श्री का परिचय जानिए उन्हीं के एक पत्र से-
काली कल्याणकारी!
“वेबसाइट का निर्माण करने वाले बंधुओं ने मुझसे अपने बारे में कुछ खास बातें बताने को कहा है, आमतौर पर इस तरह के परिचय में व्यक्ति अपने जन्म संबंधी तिथियाँ, गौरवशाली परिवार,अपनी सांस्कृतिक परम्परा, अपनी शिक्षा,अपने कौशल, समाज के प्रतिष्ठित महानुभावों के साथ अपने संबंधों, अपनी प्रतिभा और अपनी विशेष योग्यताओं आदि का वर्णन करता है लेकिन एक ज्योतिषी के रूप में मैं अपना परिचय क्या दूँ मेरा परिचय आपके हाथ में है, यदि मैं योग्य हूँ, शिक्षित हूँ , संस्कारित परिवार से आता हूँ, ज्योतिष की गणनाएं और फलकथन की विशेषता रखता हूँ तो मुझसे जुड़ने वाले को मेरी वेशभूषा, मेरी वाणी, समाज के निचले और ऊँचे तबके के प्रति मेरे सम व्यवहार से, मेरे आचरण से मेरे बारे में स्वतः ही पता चल जाएगा क्योंकि संस्कार बताए नहीं जाते वो आपके आचरण से संसार को दिख जाते हैं। इसी तरह यदि मेरी ज्योतिषीय गणनाएं सत्य सिद्ध होंगीं तो स्वतः ही संसार को मेरे अध्ययन, मेरी शिक्षा, मेरी साधना और इस क्षेत्र में मेरी योग्यता का प्रमाण प्राप्त हो जाएगा।
भोजन बनाने की विशेष योग्यता का प्रमाणपत्र, भोजन बनाने वाला नहीं उस भोजन को चखने वाला देता है।
एक लेखक और आकाशवाणी लखनऊ के एक उदघोषक के रूप में आप में से बहुतों ने मुझे बहुत स्नेह व सम्मान दिया, चूँकि सर्वप्रथम मैं एक लेखक हूँ तो अपने बारे में एक छोटी सी कहानी से अपने ज्योतिषी व आचार्य बनने का कारण आप सबके साथ बाँटना चाहता हूँ।
जब तक आप एक के बाद एक सफलता प्राप्त करते जाते हैं तब तक ईश्वर और धर्म की उत्पत्ति आपके जीवन में नहीं होती, ऐसा ही मैं था,सामान्य बी.ए.-एम.ए. किया एक व्यक्ति, जो अपना व्यापार करता था और अपनी पत्नी और परिवार के साथ सुख से अपना जीवन व्यतीत करता था। किसी का कोई अहित तो नहीं करता था पर धर्मिकता अधिक नहीं थी,ईश्वर और धर्म आदि की बातों को कोई विशेष सम्मान न देने वाला एक नास्तिक हुआ करता था मैं। गणित, विज्ञान और तर्क ही मेरे जीवन का आधार थे।
परन्तु नियति ने क्या नियत कर रखा है ये मैं तब गणना नहीं कर पाया था। समय के सागर से सन 2008 की एक दोपहर, मेरे जीवन में उस सुनामी की तरह आयी जो भूकम्प से उत्पन्न होकर पर्वतों तक को तहस नहस कर अठ्ठाहास करती है। आपदा होती क्षण भर में है पर उसके दुष्परिणाम दशकों तक रहते हैं मेरा जीवन भी समुद्र किनारे बसे किसी भव्य नगर से, चारो ओर जल से घिरा निर्जन द्वीप बन गया था। मेरा अभिमान, मेरी मान्यताएं, मेरी सोच,मेरा पुरुषार्थ सब कुछ छिन्न-भिन्न हो गया था। तीन चार वर्षों तक अवसाद के काले बादल छाए रहे फिर उन्हीं काले बादलों के बीच धर्म का सूर्य उदय हुआ और भाग्य से पराजित हर उस व्यक्ति की तरह मैं भी धर्म की शरण में पहुँचा जो सबकुछ हारने के बाद बैरागी हो जाने का नाटक करता है लेकिन अभी भी मैं धर्म के मूल मर्म से अंजान सिर्फ अपने जीवन के वैभव के लिए संघर्ष कर रहा था जिसके फलस्वरूप कभी कोई टोटका तो कभी कोई तंत्र-मंत्र आदि आजमाता रहता था। किसी ने बता दिया कि अमुक दर पर मन्नत माँगने से पूरी होती है तो तर्क का मुकुट उतार कर मैं अपना माथा उस दर पर रगड़ने पहुँच जाता था। इसी सब के बीच कई तरह के ज्योतिषियों से मैंने परामर्श लिया पर मेरे जीवन स्तर में कोई सुधार नहीं हुआ शायद उस वक्त यदि सुधार हो जाता तो मैं आज आपके सामने इस रूप में होता भी नहीं पर माँ काली की इच्छा कुछ अलग ही थी।
तो जब बहुत सारे ज्योतिषियों को जन्मपत्री, माथा और अपनी हथेली आदि दिखाने के बाद भी मेरे हाथ खाली रहे तो मेरा तार्किक और नास्तिक मस्तिष्क फिर से सक्रीय हुआ और न जाने कहाँ से मन में यह विचार आया कि ज्योतिष का विधिवत अध्ययन कर इसकी सच्चाई को जाना जाये और उस समय मुझे यह पूर्ण विश्वास था कि जब मैं ज्योतिष को पढूँगा तो संसार के सामने यह रखूँगा की यह कुछ मानवों की कपोल कल्पित कल्पना मात्र है इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। आरम्भ में पढ़े गये कुछ सस्ते और अप्रामाणिक ग्रंथों को पढ़कर मेरी यह धारणा और प्रबल होने लगी थी कि ज्योतिष कोरी गप्प है तर्क और विज्ञान की कसौटी पर इसकी कोई बात सत्य नहीं सिद्ध होती। परन्तु नियति ने मेरे जीवन में चक्रवात यूँ ही नहीं उत्पन्न किया था शायद नियति ही जानती थी कि इस चक्रवात से ही कुंडली चक्र बाँचने वाला निकलेगा।
ज्योतिष ग्रंथो के अधकचरे पाठन के दौरान ही एक दिन अचानक मुझे किसी ने लखनऊ विश्वविद्यालय से ज्योतिष की विधिवत पढ़ाई करने के लिए विश्वविद्यालय के ज्योतिर्विज्ञान विभाग में संपर्क करने को कहा, और लखनऊ विश्वविद्यालय में दाखिला लेने के बाद तो ज्योतिष को देखने का मेरा दृष्टिकोण ही बदल गया। विश्वविद्यालय में ज्योतिष के तीन मुख्य स्कन्धों सिद्धांत, संहिता और होरा के अंतर्गत आने वाले ज्योतिष के लगभग सभी उपभेदों के सभी मूल व प्रामाणिक ग्रंथो को पढ़ने का सुअवसर मुझे प्राप्त हुआ।विश्वविद्यालय में ज्योतिष के अंतर्गत त्रिकोणमिति, भूगोल, मौसम विज्ञान साइकोलॉजी आदि के साथ ज्योतिष के सैद्धान्तिक और गणितीय पक्ष को पढ़ने से मेरे तार्किक मस्तिष्क को यह ज्ञान हुआ कि ज्योतिष एक विज्ञान है परन्तु इस विज्ञान में शोध अभी उस स्तर पर नहीं हुआ है जिस स्तर पर अन्य विषयों में शोध हुये हैं। लखनऊ विश्वविद्यालय से मास्टर ऑफ एस्ट्रोलॉजी (ज्योतिर्विज्ञान) की डिग्री लेने के बाद मैं राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान से फलित ज्योतिष से ज्योतिषाचार्य हुआ और उसके बाद अपने बीते हुए जीवन और अन्य व्यक्तियों के जीवन पर अपनी ज्योतिषीय गणनाओं के अनेकों प्रयोगों द्वारा ज्योतिष के फलित सिद्धांतों को लगभग 90% सटीक पाया। दोनो विश्वविद्यालयों में पढ़ने के बाद मुझे ज्ञान हुआ कि ज्योतिष की सीमा कहाँ तक है और ज्योतिष के पौराणिक सूत्रों को आज के आधुनिक जीवन में कैसे परिवर्तित किया जा सकता है।
यद्यपि ज्योतिष की सत्यता को लेकर मेरा भ्रम अब दूर हो चुका था लेकिन मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं कभी परामर्श आरम्भ करूँगा, मैं तो अपने दो उपन्यासों को प्रकाशित करवाने के लिए उनको शीघ्र अति शीघ्र पूरा करने में लगा था परन्तु एक दिन अचानक मध्यरात्रि में अचंभित कर देने वाला स्वप्न आया (यहाँ मैं कुछ कारणों से स्वप्न और उसके बाद के अनुभवों को विस्तार से नहीं बताऊँगा) पर उस रात्रि मैंने उसपर ध्यान नहीं दिया मुझे लगा कि मैं रामकृष्ण परमहँस और स्वामी विवेकानन्द को पढ़ता रहता हूँ तो यह उसी का प्रभाव होगा कि मुझे स्वप्न में कोई देवी दिख रही हैं, परन्तु जब वही स्वप्न मुझे तीसरी बार आया तो मैं तुरन्त हड़बड़ा के जाग गया और स्वप्न में बताए दिन के अनुसार मैनें कलकत्ता जाने के लिए रेलवे की ऐप खोली और देखा कि अमृतसर हावड़ा ट्रेन में उस दिन के लिए सिर्फ एक सीट अवलेबल है मैंने तुरंत रिज़र्वेशन करा लिया और दक्षिणेश्वर काली मंदिर में जाने के बाद मुझे आदेश हुआ कि “तुझे ज्योतिष का परामर्श निर्बलों और निर्धनों को देना है जिसका दुःख तू मन से सुन लेगा उसका प्रारब्ध कट जाएगा और तेरा भी” दक्षिणेश्वर के बाद मैं गंगासागर भी गया उस दिन चैत्र पूर्णिमा और हनुमान जयंती थी पूरी रात मैं समंदर के किनारे साधना में था और वहीं अभिमानी तुषार सिंह को डुबोकर संसार के सामने कल्याणी ने आचार्य तुषारापात को प्रस्तुत कर दिया।”
~आचार्य तुषारापात
आचार्य श्री माँ काली के उपासक व साधक हैं उन्हीं की आज्ञा से आपने निःशुल्क परामर्श आरम्भ किया है इसलिए विनम्रता के कारण अपने मुख से अपनी विशेष योग्यताएं नहीं बताते परन्तु इन्हें न सिर्फ फलित ज्योतिष, सिद्धांत ज्योतिष, संहिता ज्योतिष,वैदिक ज्योतिष, कृष्णमूर्ति पद्धति, अंक ज्योतिष, पश्चिमी आधुनिक ज्योतिष, हस्तरेखा-मस्तक रेखा व सामुद्रिक ज्योतिष, नाड़ी ज्योतिष, ताजिकशास्त्र, लाल किताब, रमल ज्योतिष (जिसका आधुनिक रूप आप सब आजकल टैरो कार्ड के रूप में देखते हैं), मुहूर्त ज्योतिष, प्रश्न ज्योतिष, चिकित्सा ज्योतिष, स्वर शास्त्र आदि ज्योतिष के सभी उपभेदों का पूर्ण ज्ञान है बल्कि वे इन सभी भेदों में पूर्ण सिद्ध हैं।
आप ‘श्री काली कल्याणकारी संघपीठ’ के संघपीठाधीश्वर तथा उत्तर प्रदेश ज्योतिष परिषद के एग्जेक्युटिव चेयरमैन के पद पर सुशोभित हैं।
लखनऊ यूनिवर्सिटी तथा राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान (डीम्ड यूनिवर्सिटी) नई दिल्ली से ज्योतिष का विधिवत अध्ययन कर डिग्री होल्डर व मेडल विनर रहे हैं तथा अनेक राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय विशिष्ट संस्थाओं-संस्थानों के द्वारा वेद-वेदांत, फलित व गणित ज्योतिष, वास्तु, कर्मकांड आदि क्षेत्रों के लगभग सभी उच्च पुरस्कारों/सम्मानों द्वारा विभूषित किये गये हैं।
एक बात और कि निःशुल्क परामर्श के अनेक विकल्पों के साथ आप कुछ सशुल्क परामर्श के विकल्प भी हमारी वेबसाइट पर देखेंगें उन विकल्पों का लक्ष्य धन कमाना नहीं है, आचार्य श्री कोई सन्यासी नहीं है वे जीविका के लिए कंटेंट राइटिंग व अन्नोउन्सर के कार्य पर निर्भर हैं यदि कोई व्यक्ति अधिक डिटेल में उनका परामर्श लेगा तो यह स्पष्ट है कि उनके अन्य कार्य बाधित होंगें अतः यह पारिश्रमिक रखा गया है यह आपसे कोई दान की मांग नहीं वरन आपको दिए गए परामर्श का शुल्क है।
परन्तु आचार्य श्री पहले भी स्पष्ट कर चुके हैं कि वे निःशुल्क और सशुल्क परामर्श में कुंडली दर्शन और समाधान आदि देने में किसी भी प्रकार का कोई भी भेदभाव नहीं करते हैं अतः उनका यही निवेदन है कि आप सब उनसे निःशुल्क परामर्श का ही लाभ उठाएं जिससे उनके व्यक्तिगत और व्यवसायिक जीवन में समय की कोई बाधा न आने पाए।
~टीम ज्योतिष डॉक्टर
आचार्य श्री माँ काली के उपासक व साधक हैं उन्हीं की आज्ञा से आपने निःशुल्क परामर्श आरम्भ किया है इसलिए विनम्रता के कारण पने मुख से अपनी विशेष योग्यताएं नहीं बताते परन्तु इन्हें न सिर्फ फलित ज्योतिष, सिद्धांत ज्योतिष, संहिता ज्योतिष,वैदिक ज्योतिष, कृष्णमूर्ति पद्धति, अंक ज्योतिष, पश्चिमी आधुनिक ज्योतिष, हस्तरेखा-मस्तक रेखा व सामुद्रिक ज्योतिष, नाड़ी ज्योतिष, ताजिकशास्त्र, लाल किताब, रमल ज्योतिष (जिसका आधुनिक रूप आप सब आजकल टैरो कार्ड के रूप में देखते हैं), मुहूर्त ज्योतिष, प्रश्न ज्योतिष, चिकित्सा ज्योतिष, स्वर शास्त्र आदि ज्योतिष के सभी उपभेदों का पूर्ण ज्ञान है बल्कि वे इन सभी भेदों में पूर्ण सिद्ध हैं।
आप ‘श्री काली कल्याणकारी संघपीठ’ के संघपीठाधीश्वर तथा उत्तर प्रदेश ज्योतिष परिषद के एग्जेक्युटिव चेयरमैन के पद पर सुशोभित हैं।
लखनऊ यूनिवर्सिटी तथा राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान (डीम्ड यूनिवर्सिटी) नई दिल्ली से ज्योतिष का विधिवत अध्ययन कर डिग्री होल्डर व मेडल विनर रहे हैं तथा अनेक राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय विशिष्ट संस्थाओं-संस्थानों के द्वारा वेद-वेदांत, फलित व गणित ज्योतिष, वास्तु, कर्मकांड आदि क्षेत्रों के लगभग सभी उच्च पुरस्कारों/सम्मानों द्वारा विभूषित किये गये हैं।
एक बात और कि निःशुल्क परामर्श के अनेक विकल्पों के साथ आप कुछ सशुल्क परामर्श के विकल्प भी हमारी वेबसाइट पर देखेंगें उन विकल्पों का लक्ष्य धन कमाना नहीं है, आचार्य श्री कोई सन्यासी नहीं है वे जीविका के लिए कंटेंट राइटिंग व अन्नोउन्सर के कार्य पर निर्भर हैं यदि कोई व्यक्ति अधिक डिटेल में उनका परामर्श लेगा तो यह स्पष्ट है कि उनके अन्य कार्य बाधित होंगें अतः यह पारिश्रमिक रखा गया है यह आपसे कोई दान की मांग नहीं वरन आपको दिए गए परामर्श का शुल्क है।
परन्तु आचार्य श्री पहले भी स्पष्ट कर चुके हैं कि वे निःशुल्क और सशुल्परामर्श में कुंडली दर्शन और समाधान आदि देने में किसी भी प्रकार का कोई भी भेदभाव नहीं करते हैं अतः उनका यही निवेदन है कि आप सब उनसे निःशुल्क परामर्श का ही लाभ उठाएं जिससे उनके व्यक्तिगत और व्यवसायिक जीवन में मय की कोई बाधा न आने पाए।
~टीम ज्योतिष डॉक्टर
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